बुधवार, 18 नवंबर 2015

पर्यावरण समाचार
कीटाणुरोधक साबुन बहुत कारगर नहीं है
    हाथ धोने के लिए इस्तेमाल होने वाले कीटाणुरोधी साबुन में कीटाणु-मारक घटक ट्राइक्लोसैन होता है ।
    ट्राइक्लोसैन को उसके कीटाणुरोधी गुण के कारण जाना जाता है । १९७० के दशक में सबसे पहले अस्पताल में हाथ धोने के साबुन के रूप में इसे शामिल किया गया था । फिलहाल ज्यादातर देशों में उपभोक्ता साबुनों में ट्राइक्लोसैन की अधिकतम मात्रा ०.३ प्रतिशत ही इस्तेमाल करने की अनुमति है । प्रयोगशाला में किए गए कई अध्ययनों में पाया गया था कि इतनी मात्रा वाले साबुन कीटाणुआें को मारने में साधारण साबुन जैसे ही होते हैं । अर्थात इतनी मात्रा कीटाणुआें को मारने में प्रभावी नहीं है ।
    इसके अलावा, ट्राइक्लोसैन एलर्जी और कैंसरकारी अशुद्धियों जैसे विभिन्न प्रतिकूल प्रभावों की रिपोर्टो के चलते विवादस्पद बना हुआ है ।
    कोरिया युनिवर्सिटी के मिन-सुकरी और उनके साथियोंने बताया कि उन्हें पक्का सबूत मिला है कि ट्राइक्लोसैन युक्त साबुन साधारण साबुन से बेहतर नहीं है । वे मानते हैं कि उनका अध्ययन पिछले हुए अध्ययनों से ज्यादा सटीक है क्योंकि उन्होनें केवल एक ही चीज ०.३ प्रतिशत ट्राइक्लोसैन की उपस्थिति और अनुपस्थिति को बदला, शेष अन्य कारकों को वैसे ही रखा ताकि स्पष्ट परिणाम प्राप्त् हो सके ।
    इस टीम ने २० बैक्टीरिया स्ट्रेन को हटाने के लिए साधारण साबुन और ट्राइक्लोसैन युक्त साबुन आजमाने की कोशिश की जिसमें २० सेकण्ड के लिए कमरे के तापमान पर रखा और बाद में धीर-धीरे तापमान को बढ़ाया । ये वही परिस्थितियां जो घर पर हाथ धोते समय होती है । इसके अलावा, उन्होंने वालंटियर्स के हाथों को सेरेशिया मार्सेसेन्स नाम बैक्टीरिया से भी संक्रमित किया और यह जांच की कि प्रत्येक साबुन कितनी अच्छी तरह से बैक्टीरिया हटाने में सक्षम   हैं ।
    परिणामों से पता चला कि दोनों ही साबुनों की कीटाणुनाशक गतिविधि दोनों तापमानों पर लगभग एक सी रही । हालांकि ट्राइक्लोसैन युक्त साबुन का इस्तेमाल ९ घंटे तक जारी रखने पर उसका कीटाणुनाशक प्रभाव काफी अधिक दिखाई दिया ।
    मीन सुकरी का कहना है कि ईमानदारी से हम इस परिणाम की उम्मीद ही कर रहे थे । ट्राइक्लोसैन का कीटाणुरोधक प्रभाव उसकी सांद्रता और समय पर निर्भर करता  है । बाजार में बिकने वाले कीटाणुरोधक साबुनों में ०.३ प्रतिशत से ही कम ट्राइक्लोसैन मिला होता है और हाथ धोने में कुछ सेकंड का समय ही तो लगता है ।
    यूएस स्थित नार्थ केरोलिना युनिवर्सिटी के एलिसन ऐलियो का कहना है कि यथार्थ में इस्तेमाल होने वाले ट्राइक्लोसैन उत्पाद ज्यादा फायदेमंद नहीं होते । उन्होनें ट्राइक्लोसैन के और भी कई उत्पादों पर भी शोध किया है ।
    दूसरे शोधकर्ताआें का मानना है कि विज्ञान के परिप्रेक्ष्य से काफी रोचक और अच्छा अध्ययन किया गया है । मगर साबुन का आकलन करने के लिए इतना पर्याप्त् नहीं   होगा ।

नया आइडिया ३० करोड़ दिलायेगा
    नीति आयोग के एक पैनल ने सरकार को सुझाव दिया है कि एक आइडिया पेश करने वाले उद्यमियों को ३० करोड़ रूपय का नकद पुरस्कार दिया जाए । इस पैनल का गठन नीति आयोग ने किया    था । इसका नेतृत्व प्रसिद्ध शिक्षाविद तरूण खन्ना कर रहे है ।
    इस पैनल का काम इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए सुझाव देना और नौकरी के अवसर बढ़ाने के लिए आत्रप्रेन्योर फ्रेडली इकोसिस्टम बनाने में मदद करता है।
    पैनल अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप देकर इसे शीघ्र पेश  करेगा । इस रिपोर्ट में इनोवेशन और आत्रप्रेन्योरशिप को बढ़ाने, अटल इनोवेशन मिशन और सेल्फ इम्प्लायॅमेंट एंड टैलेंट यूटिलाइजेशन को बढ़ावा देने के सुझाव शामिल होगे । पैनल में एआईएम और सेतु के ढांचे पर अपना विस्तृत सुझाव दे दिया है । पैनल ने एआईएम के तहत इनोवेटिव आइडियाज के लिए पुरस्कार योजना चलाने के लिए विज्ञान और तकनीक मंत्रालय समेत अन्य संबंधित मंत्रालयोंसे सुझाव मंगाये है । पैनल ने कहा है कि एक निश्चित समय सीमा के अंदर किसी खास चैलेंज को पूरा करने के लिए १०-३० करोड़ रूपये पुरस्कार की योजना है ।

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