पर्यावरण परिक्रमा
उज्जैन में आयुर्वेद से शुद्ध होगी शिप्रा
म.प्र. के उज्जैन में सिंहस्थ से पूर्व शिप्रा को वैदिक पद्धति से शुद्ध करने की कवायद की जा रही है । सिंहस्थ में शिप्रा शुद्ध और प्रवाहमान बनी रहे, इसके लिए वेद शास्त्र और आयुर्वेद का सहारा लिया जाएगा । ऐसे कईपौधे व वनस्पति हैं, जिनकी जड़ व पत्तों से पानी शुद्ध हो जाता है । वन विभाग ने ऐसे पौधों को शिप्रा शुद्धीकरण में प्रयोग करने का प्रस्ताव बनाकर प्रशासन को भेजा है। इसमें अपामार्ग (चिरचिड़ा) नागरमोथा (मुश्ता), बच (बचा), हर्रा (हरण), बकुपा रेडग्रास (घास प्रजाति) के पौधों का प्रयोग किया जाएगा । साथ ही कुछ जलीय जन्तुआेंको भी नदी में छोड़ा जाएगा, जो पानी से गंदगी को नष्ट कर देते हैं । मृगल मछली नदी की गहराई में काम करती है । इसके ऊपर रोहू प्रजाति की मछली और कतला ऊपरी सतह पर सफाई का काम करती है । कछुए भी सफाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है । नदी में ऑक्सीजन नियंत्रण के लिए कई वनस्पति व जीव हैं । इसके लिए शैवाल को शामिल किया है ।
संत समाज ने भी वन विभाग के इस प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है । संतोंके मुताबिक प्रशासन नदी को साफ रखने के लिए ओजोनेशन प्लांट पर फिजूलखर्चीकर रहा है । मां शिप्रा के शुद्धीकरण में वेद शास्त्र, आयुर्वेद पद्धति व वनस्पति से बेहतर कुछ हो नहीं सकता है । नगर निगम ने सिहंस्थ अवधि (दो माह) के लिए शिप्रा सफाई का ९ करोड़ रूपये का आयोनेशन प्लांट का प्रस्ताव तैयार किया है ।
दुनिया का पहला इलेक्ट्रानिक पौधा विकसित
स्वीडन के वैज्ञानिकों ने एक बड़ी कामयाबी हासिल की है । एक जीवित पौधे के ट्रांसपोर्टशन सिस्टम यानी संवहन तंत्र में सर्किट लगाकर उसे दुनिया का पहला इलेक्ट्रानिक पौधा बना दिया है । इसे विज्ञान के एक नए युग को शुरूआत माना जा रहा है । स्वीडन के लिकोपिंग यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताआें के दल ने पौधों के अंदर लगाए गए तारों, डिजिटल लॉजिक और प्रदर्शनकारी तत्वों को दिखाया गया है ।
पौधों में रासायनिक मार्गो पर नियंत्रण से प्रकाश संश्लेषण आधारित ईधन सेल, सेसंर्स (ज्ञानेद्रियों) और वृद्धि नियामकों के लिए रास्ता खुल सकता है । ऐसा भी समय आएगा, जब पौधों की पूरी जैविक क्रियापर इनसान का नियंत्रण हो सकेगा ।
ऊर्जा की मदद से पर्यावरण और वनस्पति विज्ञान के नए रास्ते खुलेगे । ऐसे उपकरण भी तैयार किए जा सकते है, जो पौधो की आंतरिक क्रियाआेंको व्यवस्थित कर सके । पौधोंकी सेहत पर निगरानी रखी जा सकेगी । इससे पहले वैज्ञानिकों के पास जीवित पौधे की अंदरूनी प्रक्रिया मापने का अच्छा उपकरण नहींथा । इस शोध से हम पौधों का विकास करने वाले पदार्थो की मात्रा प्रभावित करने में सक्षम है ।
सौर ऊर्जा तीन गुना हुई सस्ती
अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में सौर ऊर्जा ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है । पिछले पांच सालों में सौर ऊर्जा की कीमत प्रति यूनिट तीन गुना कम हुई है । इससे इस क्षेत्र में विकास के कईऔर रास्ते खुल गए है ।
पांच वर्ष पूर्व शुरू हुए जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सोर ऊर्जा मिशन की औपचारिक शुरूआत के बाद से अब तक सौर ऊर्जा की कीमतों में लगातार कमी दर्ज की गई है । यह जानकारी केन्द्रीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा बनाई एक उच्च् स्तरीय समिति ने अपनी एक रिपोर्ट के प्रारंभिक आंकलन में कही है । रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष २०१० में जहां प्रति यूनिट सौर ऊर्जा की कीमत १८ रूपये थी, वहीं अब पांच रूपये प्रति यूनिट से भी कम हो चुकी है । कुछ माह में इसकी दरों में और कमी देखने को मिल सकती है । इसके लिए सौर ऊर्जा उत्पादकों को आक्रामक बोली, उत्पादन तकनीक में सुधार और सौर ऊर्जा का उपकरणों की कीमतों में आई गिरावट बड़े कारण है । उपकरणों की कीमतों में आई कमी इस क्षेत्र में बढ़ती प्रतिस्पर्धा तथा सब्सिडी के कारण है । यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिसे अभी भी पूरी तरह विकसित होना है उसकी कीमतों में गिरावट महत्वपूर्ण बात है ।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कीमतों में यह कमी नवीकरणीय ऊर्जा को बहुप्रतीक्षित ग्रिड समता प्रदान करती है । इससे यह उम्मीद पैदा होती है कि सौर ऊर्जा उम्मीद से कहीं जल्दी कोयला अथवा गैस से उत्पादित होने वाली पारंपरिक ऊर्जा को गंभीर टक्कर दे सकती है । हालांकि इसका एक दूसरा पहलू भी है ।
पैडल घुमाकर घर में बना सकेंगे बिजली
बिजली की किल्लत से जूझ रहे परिवारों के लिए अच्छी खबर है । जल्द ही वे एक विशेष साइकिल के पैडल घुमाकर अपने लिए बिजली बना सकेगे । पैडल मारने से एक फ्लाईव्हील घूमने लगती है जो एक जेनरेटर को स्पिन करती है । यह इस सिस्टम से जुड़ी बैटरी को चार्ज करता है ।
इस बिजली को बैटरी में स्टोर भी किया जा सकेगा । अपनी ९९ फीसदी संपत्ति दान कर चर्चा में आए भारतवंशी अमरीकी अरबपति मनोज भार्गव ने पहली बार यह मशीन दुनिया के सामने पेश की । अगले साल से मार्च महीने से यह मशीन बाजार मेंउपलब्ध होगी ।
नई दिल्ली में पिछले दिनों श्री भार्गव ने पैडल घुमाकर सात वॉट के २४ बल्ब जलाने, एक पंखा चलाने और फोन चार्ज करने लायक बिजली बनाने की तकनीक का प्रदर्शन किया ।
श्री भार्गव ने कहा, दुनिया के करीब १.३ अरब लोग ऐसे हैं, जिनके पास बिजली नहीं है । इस उपकरण के जरिए घर-घर में बिजली बनाई जा सकेगी । हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि इससे कुछ बल्ब, एक पंखा और मोबाइल रिचार्ज कर सकने जैसे काम ही हो सकेगे । इससे फ्रिज या एसी नहीं चलाया जा सकेगा । भार्गव ने बताया कि भारत में इस उपकरण को बेचने की शुरूआत उत्तराखंड से होगी, उसके बाद इस पूरे देश में उपलब्ध कराया जाएगा ।
मेट्रो के लिए कटेंगे दो हजार पेड़
अहमदाबाद शहर में मेट्रो प्रोजेक्ट का कार्य प्रगति पर है । मेट्रो ट्रेन के तय रूट पर सड़कें ८० फीट चौड़ी करनी पड़ेगी । साथ ही मेट्रो ट्रेन के लिए दो हजार से अधिक पेड़ों को काटना पड़ेगा । मेगा मेट्रो कंपनी ने पेड़ों को काटने के लिए मनपा आयुक्त से मंजूरी मांगी है ।
मेट्रो मेगा कंपनी के पहले चरण में अहमदाबाद के पूर्व क्षेत्र में वस्त्राल से एपेरल पार्क के बीच एलिवेटेड कॉरिडोर बनाने का कार्य शुरू कर दिया है । यह पूर्ण होने के बाद कंपनी द्वारा पश्चिम क्षेत्र में एलिवेटेड कॉरिडोर बनाने का कार्य शुरू किया जाएगा । मेट्रो मेगा कंपनी ने वासणा से मोटेरा रूट आए पेड़ काटने के लिए एक फाइल तैयार की है ।
पहले भालू को दया मृत्यु
इन्दौर में चिड़ियाघर में ३३ साल पहले सोनू पैदा हुआ था..... यही से विदा हो गया । उस पर इंसानों ने दया की या उसने इंसानों की फितरत पर, ये बहस अब बेमानी है, मगर नियम कायदे की किताब सामने रखकर ०५ दिसम्बर को उसे दया मृत्यु देकर मौत की नींद सुला दिया गया ।
भारत में किसी भालू को और प्रदेश में चिड़ियाघर के किसी भी प्राणी को दया मृत्यु देने का पहला मामला है । औसत उम्र पार कर चुका सोनू ढाई साल से गंभीर रूप से बीमार था । तीन महीने पहले चिड़ियाघर प्रबंधन ने केन्द्रीय प्राणी संग्रहालय को चिट्ठी लिखकर दया मृत्यु की अनुमति मांगी थी । दो दिन पहले ही अनुमति मिली और बिना देर किए सोनू को इस दर्द से निजात दिलाने की तैयार कर ली गई । जिंदगी की आखिरी सुबह सोनू की तीमारदारी में चिड़ियाघर का पूरा स्टॉफ जुट गया । सुबह नहलाया गया । फिर पिंजरे को फूलों से खूब सजाया गया । खाने में शहद, सेब और केले दिए गए । सोनू ने भी बड़े चाव से सबकुछ खाया । वो बेफिक्र था ..... अगले पल कुछ भी हो । इस पल को वो जी रहा था । मंत्रोच्चर के बीच पंड़ितों ने उसे गंगाजल भी पिलाया ।
उसके आखिरी पलों को कैद करने के लिए उस ताने गए कैमरों पर भी उसकी नजर थी । इसी हलचल के बीच रोज सोनू को खाना खिलाने वाला राकेश पिंजरे मेंगया । आज उसने उसे खाना नहीं, बल्कि भारी मन से बेहोशी की दवा दी । चंद मिनटों में ही सोनू की आंखे बोझिल होने लगी और धीरे-धीरे बंद हो गई । संासे चल रही थी, पर वो निढाल पड़ा था । लगभग १० मिनट बाद ढाई साल से एक ही पिंजरे में बंद सोनू को बाहर निकाला गया । वन संरक्षक वीके वर्मा की मौजूदगी में डॉ. उत्तम यादव और डॉ. प्रशांत तिवारी ने सोनू के गले की नस में १०० एमएल का इंजेक्शन लगाया । लगभग १५ मिनट बाद उसका जिंदगी से नाता टूट गया ।
उज्जैन में आयुर्वेद से शुद्ध होगी शिप्रा
म.प्र. के उज्जैन में सिंहस्थ से पूर्व शिप्रा को वैदिक पद्धति से शुद्ध करने की कवायद की जा रही है । सिंहस्थ में शिप्रा शुद्ध और प्रवाहमान बनी रहे, इसके लिए वेद शास्त्र और आयुर्वेद का सहारा लिया जाएगा । ऐसे कईपौधे व वनस्पति हैं, जिनकी जड़ व पत्तों से पानी शुद्ध हो जाता है । वन विभाग ने ऐसे पौधों को शिप्रा शुद्धीकरण में प्रयोग करने का प्रस्ताव बनाकर प्रशासन को भेजा है। इसमें अपामार्ग (चिरचिड़ा) नागरमोथा (मुश्ता), बच (बचा), हर्रा (हरण), बकुपा रेडग्रास (घास प्रजाति) के पौधों का प्रयोग किया जाएगा । साथ ही कुछ जलीय जन्तुआेंको भी नदी में छोड़ा जाएगा, जो पानी से गंदगी को नष्ट कर देते हैं । मृगल मछली नदी की गहराई में काम करती है । इसके ऊपर रोहू प्रजाति की मछली और कतला ऊपरी सतह पर सफाई का काम करती है । कछुए भी सफाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है । नदी में ऑक्सीजन नियंत्रण के लिए कई वनस्पति व जीव हैं । इसके लिए शैवाल को शामिल किया है ।
संत समाज ने भी वन विभाग के इस प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है । संतोंके मुताबिक प्रशासन नदी को साफ रखने के लिए ओजोनेशन प्लांट पर फिजूलखर्चीकर रहा है । मां शिप्रा के शुद्धीकरण में वेद शास्त्र, आयुर्वेद पद्धति व वनस्पति से बेहतर कुछ हो नहीं सकता है । नगर निगम ने सिहंस्थ अवधि (दो माह) के लिए शिप्रा सफाई का ९ करोड़ रूपये का आयोनेशन प्लांट का प्रस्ताव तैयार किया है ।
दुनिया का पहला इलेक्ट्रानिक पौधा विकसित
स्वीडन के वैज्ञानिकों ने एक बड़ी कामयाबी हासिल की है । एक जीवित पौधे के ट्रांसपोर्टशन सिस्टम यानी संवहन तंत्र में सर्किट लगाकर उसे दुनिया का पहला इलेक्ट्रानिक पौधा बना दिया है । इसे विज्ञान के एक नए युग को शुरूआत माना जा रहा है । स्वीडन के लिकोपिंग यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताआें के दल ने पौधों के अंदर लगाए गए तारों, डिजिटल लॉजिक और प्रदर्शनकारी तत्वों को दिखाया गया है ।
पौधों में रासायनिक मार्गो पर नियंत्रण से प्रकाश संश्लेषण आधारित ईधन सेल, सेसंर्स (ज्ञानेद्रियों) और वृद्धि नियामकों के लिए रास्ता खुल सकता है । ऐसा भी समय आएगा, जब पौधों की पूरी जैविक क्रियापर इनसान का नियंत्रण हो सकेगा ।
ऊर्जा की मदद से पर्यावरण और वनस्पति विज्ञान के नए रास्ते खुलेगे । ऐसे उपकरण भी तैयार किए जा सकते है, जो पौधो की आंतरिक क्रियाआेंको व्यवस्थित कर सके । पौधोंकी सेहत पर निगरानी रखी जा सकेगी । इससे पहले वैज्ञानिकों के पास जीवित पौधे की अंदरूनी प्रक्रिया मापने का अच्छा उपकरण नहींथा । इस शोध से हम पौधों का विकास करने वाले पदार्थो की मात्रा प्रभावित करने में सक्षम है ।
सौर ऊर्जा तीन गुना हुई सस्ती
अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में सौर ऊर्जा ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है । पिछले पांच सालों में सौर ऊर्जा की कीमत प्रति यूनिट तीन गुना कम हुई है । इससे इस क्षेत्र में विकास के कईऔर रास्ते खुल गए है ।
पांच वर्ष पूर्व शुरू हुए जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सोर ऊर्जा मिशन की औपचारिक शुरूआत के बाद से अब तक सौर ऊर्जा की कीमतों में लगातार कमी दर्ज की गई है । यह जानकारी केन्द्रीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा बनाई एक उच्च् स्तरीय समिति ने अपनी एक रिपोर्ट के प्रारंभिक आंकलन में कही है । रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष २०१० में जहां प्रति यूनिट सौर ऊर्जा की कीमत १८ रूपये थी, वहीं अब पांच रूपये प्रति यूनिट से भी कम हो चुकी है । कुछ माह में इसकी दरों में और कमी देखने को मिल सकती है । इसके लिए सौर ऊर्जा उत्पादकों को आक्रामक बोली, उत्पादन तकनीक में सुधार और सौर ऊर्जा का उपकरणों की कीमतों में आई गिरावट बड़े कारण है । उपकरणों की कीमतों में आई कमी इस क्षेत्र में बढ़ती प्रतिस्पर्धा तथा सब्सिडी के कारण है । यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिसे अभी भी पूरी तरह विकसित होना है उसकी कीमतों में गिरावट महत्वपूर्ण बात है ।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कीमतों में यह कमी नवीकरणीय ऊर्जा को बहुप्रतीक्षित ग्रिड समता प्रदान करती है । इससे यह उम्मीद पैदा होती है कि सौर ऊर्जा उम्मीद से कहीं जल्दी कोयला अथवा गैस से उत्पादित होने वाली पारंपरिक ऊर्जा को गंभीर टक्कर दे सकती है । हालांकि इसका एक दूसरा पहलू भी है ।
पैडल घुमाकर घर में बना सकेंगे बिजली
बिजली की किल्लत से जूझ रहे परिवारों के लिए अच्छी खबर है । जल्द ही वे एक विशेष साइकिल के पैडल घुमाकर अपने लिए बिजली बना सकेगे । पैडल मारने से एक फ्लाईव्हील घूमने लगती है जो एक जेनरेटर को स्पिन करती है । यह इस सिस्टम से जुड़ी बैटरी को चार्ज करता है ।
इस बिजली को बैटरी में स्टोर भी किया जा सकेगा । अपनी ९९ फीसदी संपत्ति दान कर चर्चा में आए भारतवंशी अमरीकी अरबपति मनोज भार्गव ने पहली बार यह मशीन दुनिया के सामने पेश की । अगले साल से मार्च महीने से यह मशीन बाजार मेंउपलब्ध होगी ।
नई दिल्ली में पिछले दिनों श्री भार्गव ने पैडल घुमाकर सात वॉट के २४ बल्ब जलाने, एक पंखा चलाने और फोन चार्ज करने लायक बिजली बनाने की तकनीक का प्रदर्शन किया ।
श्री भार्गव ने कहा, दुनिया के करीब १.३ अरब लोग ऐसे हैं, जिनके पास बिजली नहीं है । इस उपकरण के जरिए घर-घर में बिजली बनाई जा सकेगी । हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि इससे कुछ बल्ब, एक पंखा और मोबाइल रिचार्ज कर सकने जैसे काम ही हो सकेगे । इससे फ्रिज या एसी नहीं चलाया जा सकेगा । भार्गव ने बताया कि भारत में इस उपकरण को बेचने की शुरूआत उत्तराखंड से होगी, उसके बाद इस पूरे देश में उपलब्ध कराया जाएगा ।
मेट्रो के लिए कटेंगे दो हजार पेड़
अहमदाबाद शहर में मेट्रो प्रोजेक्ट का कार्य प्रगति पर है । मेट्रो ट्रेन के तय रूट पर सड़कें ८० फीट चौड़ी करनी पड़ेगी । साथ ही मेट्रो ट्रेन के लिए दो हजार से अधिक पेड़ों को काटना पड़ेगा । मेगा मेट्रो कंपनी ने पेड़ों को काटने के लिए मनपा आयुक्त से मंजूरी मांगी है ।
मेट्रो मेगा कंपनी के पहले चरण में अहमदाबाद के पूर्व क्षेत्र में वस्त्राल से एपेरल पार्क के बीच एलिवेटेड कॉरिडोर बनाने का कार्य शुरू कर दिया है । यह पूर्ण होने के बाद कंपनी द्वारा पश्चिम क्षेत्र में एलिवेटेड कॉरिडोर बनाने का कार्य शुरू किया जाएगा । मेट्रो मेगा कंपनी ने वासणा से मोटेरा रूट आए पेड़ काटने के लिए एक फाइल तैयार की है ।
पहले भालू को दया मृत्यु
इन्दौर में चिड़ियाघर में ३३ साल पहले सोनू पैदा हुआ था..... यही से विदा हो गया । उस पर इंसानों ने दया की या उसने इंसानों की फितरत पर, ये बहस अब बेमानी है, मगर नियम कायदे की किताब सामने रखकर ०५ दिसम्बर को उसे दया मृत्यु देकर मौत की नींद सुला दिया गया ।
भारत में किसी भालू को और प्रदेश में चिड़ियाघर के किसी भी प्राणी को दया मृत्यु देने का पहला मामला है । औसत उम्र पार कर चुका सोनू ढाई साल से गंभीर रूप से बीमार था । तीन महीने पहले चिड़ियाघर प्रबंधन ने केन्द्रीय प्राणी संग्रहालय को चिट्ठी लिखकर दया मृत्यु की अनुमति मांगी थी । दो दिन पहले ही अनुमति मिली और बिना देर किए सोनू को इस दर्द से निजात दिलाने की तैयार कर ली गई । जिंदगी की आखिरी सुबह सोनू की तीमारदारी में चिड़ियाघर का पूरा स्टॉफ जुट गया । सुबह नहलाया गया । फिर पिंजरे को फूलों से खूब सजाया गया । खाने में शहद, सेब और केले दिए गए । सोनू ने भी बड़े चाव से सबकुछ खाया । वो बेफिक्र था ..... अगले पल कुछ भी हो । इस पल को वो जी रहा था । मंत्रोच्चर के बीच पंड़ितों ने उसे गंगाजल भी पिलाया ।
उसके आखिरी पलों को कैद करने के लिए उस ताने गए कैमरों पर भी उसकी नजर थी । इसी हलचल के बीच रोज सोनू को खाना खिलाने वाला राकेश पिंजरे मेंगया । आज उसने उसे खाना नहीं, बल्कि भारी मन से बेहोशी की दवा दी । चंद मिनटों में ही सोनू की आंखे बोझिल होने लगी और धीरे-धीरे बंद हो गई । संासे चल रही थी, पर वो निढाल पड़ा था । लगभग १० मिनट बाद ढाई साल से एक ही पिंजरे में बंद सोनू को बाहर निकाला गया । वन संरक्षक वीके वर्मा की मौजूदगी में डॉ. उत्तम यादव और डॉ. प्रशांत तिवारी ने सोनू के गले की नस में १०० एमएल का इंजेक्शन लगाया । लगभग १५ मिनट बाद उसका जिंदगी से नाता टूट गया ।
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