शुक्रवार, 18 जनवरी 2019

कविता
नए साल की शुभकामनाएं
सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
खेतों की मेड़ों पर धूले भरे पांव को
कुहरे में लिपटे उस छोटे से गांव को
नए साल की शुभकामनाएं । 

जात्रा के गीतों को बैल की चाल को 
करघे को कोल्हू को मछुआरां के जाल को 
नए साल की शुभकामनाएं । 

इस पकती रोटी को बच्चें के शोर को 
चौंके की गुनगुन को चूल्हे की भोर को 
नए साल की शुभकामनाएं । 

वीराने जंगल को तारों को रात को 
ठंडी दो बंदूकों में घर की बात को 
नए साल की शुभकामनाएं । 

इस चलते आंधी में हर बिखरे बाल को
सिगरेट की लाशों पर फूलों से ख्याल को
नए साल की शुभकामनाएं । 

कोट के गुलाब और जूड़े के फूल  को 
हर नन्हीं याद को हर छोटी भूल को 
नए साल की शुभकामनाएं । 

उनको जिनने चुन-चुनकर ग्रीटिंग कार्ड लिखे
उनको जो अपने गमले में चुपचाप दिखे
नए साल की शुभकामनाएं ।                                

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