प्रसंगवश
गिद्धों को बचाने के लिए कार्टून अभियान
म.प्र. बाघ संरक्षण अभियान की तर्ज पर वन विभाग ने गिद्धों के संरक्षण का भी अभियान शुरूकिया है । विभाग कार्टून सीरिज के माध्यम से आम जनता को बता रहा है कि गिद्ध प्रकृति के लिए कितने जरूरी है और उनके संरक्षण के लिए क्या करना होगा । विभाग के मैदानी कर्मचारी अपने मित्र मण्डली सहित परिचितों को कार्टून भेज रहे है । प्रदेश में १२ जनवरी को गिद्धों की गिनती होनी है । इस दृष्टि से अभियान को महत्वपूर्ण माना जा रहा है ।
अभियान का जनमानस पर ज्यादा प्रभाव पडे, इसलिए इसे धर्म से जोड़ दिया गया है । सिवनी के वनरक्षक रोहित शुक्ला ने कार्टून में गिद्धराज जटायू और लंकापति रावण के युद्ध का चित्रण किया है । जिसमें माता सीता का हरण करके ले जा रहे लंकापति हाथ मेंखड़ग होते हुए गिद्धराज को डायक्लोफेनिक इंजेक्शन दिखा रहे हैं और गिद्धराज इसे देखकर डर गए है। यह दर्द निवारक दवाई है जिसे दूसरे जानवरों को दर्द की स्थिति में दिया जाता है । मृत जानवरों के शरीर में गिद्धों की प्रजाति को खतरे में पहुंचाने का सबसे बड़ा कारण इसी दर्द निवारक दवा को माना जाता है । यह मृत मवेशियों के जरिए गिद्धों के शरीर में जाती है जिससे उनकी मौत हो जाती है ।
रोहित शुकला ने मनुष्यों की उनसे घृणा को गिद्ध परिवार की आपसी चर्चा के माध्यम से पेश किया है । उल्लेखनीय है कि बाघ आकलन अभियान के दौरान भी विभाग ने इसी तरह का अभियान चलाया था ।
विभाग ने ऐसे आधा दर्जन कार्टून जनता के बीच पहुंचा दिए है । इनके माध्यम से जनता से गिद्धों को संरक्षण देने की अपील तो की ही जा रही है । साथ ही उनसे गिद्धों की गिनती में सहयोग करने को कहा जा रहा है । विभाग ने उन ३३ जिलों के वन अमले को इस अभियान से जोड़ा है । जिनमें गिद्धों के ८८६ ठिकाने चिन्हित किए गए है । विभाग दूसरी बार गिद्धों की गिनती कर रहा है । इससे पहले वर्ष २०१६ में प्रदेश में सात हजार से ज्यादा गिद्ध गिने हुए थे । राज्य सरकार बैतूल के और भोपाल के केरवा क्षेत्र में ब्रीडिंग सेंट र खोलकर गिद्धों का संरक्षण कर रही है ।
गिद्धों की उपस्थिति वाले सबसे ज्यादा क्षेत्र छिंदवाड़ा जिले मे है । जिले में विभाग ने ९४ स्थलों का चयन किया है । वहीं रायसने में ८० और मन्दसौर में ७८ स्थल पाए गए है । प्रदेश में गिद्धों के संरक्षण के लिए लगातार काम हो रहे है ।
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