सम्पादकीय
आठ साल बाद म.प्र. फिर `टाइगर स्टेट'
पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली में `राष्ट्रीय बाघ आकलन रिपोर्ट २०१८'जारी करते हुए बताया कि भारत विश्व में बाघों को सबसे बड़ा व सबसे सुरक्षित आश्रय गृह बनकर उभरा हैं । देश में बाघों की संख्या पांच साल में ३३ फीसदी बढ़कर २०१४ के २२२६ के मुकाबले २०१८ में २९६७ हो गई है । पांच साल में देश में बाघ ७४१ बढ़े हैं । इसमें म.प्र. के लिए बड़ी व गौरव की बात यह है कि प्रदेश आठ साल पहले खोया `टायगर स्टेट' का दर्जा फिर पाने में कामयाब रहा । पिछले चार सालों में मध्यप्रदेश में २१८ बाघ बढ़े और ये अब ५२६ हो गए हैं । प्रदेश से २०१० में टाइगर स्टेट का तमगा छिन गया था ।
बाघ आंकलन रिपोर्ट - २०१८ के अनुसार देश में २००६ में कुल १४११ बाघ थे जो १३ साल में बढ़कर २९६७ हो गए है । २०११ की बाघ आकलन रिपोर्ट में कर्नाटक अव्वल रहा था, लेकिन इस बार ५२४ बाघों के साथ वह दूसरे नम्बर पर रहा । उत्तराखंड तीसने नम्बर पर रहा, वहां ४४२ बाघ पाए गए । जबकि छत्तीसगढ़ व आंध्रप्रदेश में इनकी संख्या घटी है ।
प्रधानमंत्री ने रिपोर्ट जारी करते हुए बॉलीवुड की फिल्म `एक था टाइगर' और टाइगर जिंदा है, का जिक्र किया और कहा कि बाघ संरक्षण की कहानी यही खत्म नहीं होना चाहिए । इनका दायर बढ़ना चाहिए और रफ्तार भी बढ़ना चाहिए । उन्होंने बताया कि २०१४ में संरक्षित क्षेत्रों की संख्या ६९२ थी जो अब बढ़कर ८६० हो गई है । इसी तरह २०१४ में बाघ रिजर्व ४३ थे जो २०१९ में बढ़कर १०० से ज्यादा हो गए है ।
वन अफसर को बाघों की संख्या बढ़ने का भरोसा था, लेकिन संख्या इनते ज्यादा बढ़ेगी इसका अदाजा नहीं था । प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली में जैसे ही आंकड़े घोषित किए, प्रदेश के वन अफसर अंचभित रह गए । वे बाघोंकी संख्या अधिकतम ४३० होने का अनुमान लगाए हुए थे । आंकड़े सामने आने के बाद अफसरों ने श्रेय लेना शुरू कर दिया । वन बल प्रमुख जेके मोहंती ने कहा कि इस बार बारीकी से गणना कराई गई है । हर पहलू को ध्यान में रखा गया है इसलिए संख्या मेंअप्रत्याशित वृद्धि सामने आई है ।
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