रविवार, 17 जुलाई 2016

जीव जगत
जिराफ और गाय
डॉ. डी. बालसुब्रम्ण्यन
गाय और जिराफ के बीच क्या संबंध है ? देखने से तो लगता है कि बहुत कम संबंध है । लेकिन आनुवंशिकीविदों का कहना है कि वे एक ही पूर्वज से विकसित हुए हैं और २.८ करोड़ साल पहले अलग-अलग राह पर चल पड़े थे । उस पूर्वज से एक शाखा उस जंतु के रूप में सामने आई थी जिसे ओकापी का अग्रदूत माना जाता है और लगभग १.१५ करोड़ साल पहले ओकापी में आनुवंशिक परिवर्तनों की एक श्रृंखला के परिणामस्वरूप जिराफ प्रकट हुआ था । इस लिहाज से जिराफ गाय के वंश या गोत्र का है । 
जिराफ १७ फीट लंबा, एक टन वजीन (नर १२०० किलो और मादा ८३० लिो) होता है । साथ में ६ फुट लंबी गर्दन, चारों ओर की दुनिया को घूरती उभरी हुई बड़ी-बड़ी आंखें, तेज रफ्तार (अरबी नाम जाराफ है जिसका मतलब तेज चालक है) हैं । उसकी ६० किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार दिलचस्पी, विस्मय और उलझन पैदा करती है । 
गाय और ओकापी की तरह जिराफ भी शाकाहारी है, बबूल की पत्तियोंऔर टहनियों को चट करते हैं वह भी २० इंच लंबी जीभ की मदद से । अफसोस की बात है कि अवैध शिकार और तेजी से घटते घास के मैदान के कारण विश्व में केवल ८०,००० जिराफ ही बचे है । 
जिराफ शारीरिक डिजाइन का चमत्कार है । कल्पना कीजिए कि वह पानी पीने के लिए १६ फीट नीचे झुकता है । रक्त का बहाव नीचे की ओर दौड़ता है । इस तेजी से बहते रक्त की वजह से दिल का दौरा पड़ जाना चाहिए । और जैसे ही पानी पीने के बाद वह अपना सिर वापिस ऊपर उठाता है तो क्या फिर से पूरा रक्त नीचे की ओर नहीं आ जाता होगा ? ऐसा नहीं होता क्योंकि उसका ह्दय और रक्त वाहिनियां इस तरह बनी है कि ऐसा नहीं होता । 
आम जिराफ का ह्दय ११ किलो का होता है (हमारा ३५० ग्राम) और २ फीट लंबा होता है । इसकी धमनियों में भी वॉल्व होते है जबकि हमारी शिराआें में ही वॉल्व पाए जाते हैं । जब सिर नीचे की ओर जाता है तो धमनियों के ये वॉल्व बंद हो जाते हैं और वहां स्पंज के समान रक्त वाहिनियों का झुण्ड होता है जो कि अतिरिक्त रक्त को सोख लेता है । और यह स्पंज ऑक्सीजन युक्त रक्त को मस्तिष्क में भेज देता है ।
असल में इन ७० जीन्स की बदौलत कुछ छोटे-छोटे लेकिन दिखाई देने वाले परिवर्तनों ने ही जिराफ को लंबी गर्दन और टांगो, अति संवेदी तंत्रिका तंत्र, और उच्च् मेटाबॉलिज्म के विकास का तोहफा दिया है । यह उसे ताकत, गति और मजबूती देता है । इस प्रकार ये प्राकृतिक चयन का सही उदाहरण है और चार्ल्स डार्विन का विचार भी यही था । यह सच है कि कैसे ये जीन्स कार्य करते हैं, कौन से रसायन शामिल है वगैरह पर काम किया जाना बाकी है ।
जवाहरलाल नेहरू ने अपनी किताब डिस्कवरी ऑफ इण्डिया में जिक्र किया है कि भारत में पहला जिराफ अफ्रीका से चीन के रास्ते होता हुआ पहुंचा था जिसे वहां के मिंग राजवंश के एक राजा ने यहां के एक स्थानीय राजा को तोहफे के तौर पर दिया था । 
यदि यह पहले से ही वैदिक काल में आ गया होता, तो मुझे लगता है कि यह पवित्र पशु बन जाता और हमारे किसी देवी देवता का वाहन बन गया होता । किसका ? मेरा मत है देवी पार्वती का, जो दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत की पुत्री है । 

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