गुरुवार, 19 जनवरी 2017

पर्यावरण परिक्रमा
दुनिया के चार बड़े शहरों में बंद होंगे डीजल वाहन

दुनिया के चार बड़े शहरों में २०२५ तक डीजल वाहनों पर पूर्ण प्रतिबंध लग जाएगा । ग्रीन एक्टिविस्टों के बढ़ते दबाव को देखते हुए चारों शहरो के मेयरों ने यह निर्णय लिया है । इन शहरों में आगामी एक दशक में कार, ट्रकों व अन्य डीजल वाहनों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लग जाएगा । चार शहरों में पेरिस, मेक्सिको, मैड्रिड और एथेंस शामिल हैं । 
इन शहरों के मेयरों ने इस बात की घोषणा की है कि वह भारी डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने जा रहे हैं । मेयरों ने कहा कि वह प्रदूषण रहित अन्य वाहनों को बढ़ावा देने के लिए लोगों की आर्थिक मदद करेंगे । साथ ही पैदल चलने और साईकिलिंग को बढ़ावा दिया जाएगा । इस बात का संकल्प मेक्सिको में आयोजित एक द्विपक्षीय बैठक में लिया गया । डीजल वाहन सवालों के घेरे में पिछले कुछ वर्षो में बढ़ते प्रदूषण के कारण डीजल वाहनों का उपयोग सवालों के घेरे में आ गया है । 
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि हर साल करीब ६० लाख लोग प्रदूषण के कारण मरते है । इसका एक बड़ा कारण डीजल वाहन भी है । डीजल के धुंए से ही पॉर्टिकुलेट मेटर (पीएम) निकलता है । दूसरा तत्व नाइट्रोजन ऑक्साइड जो डीजल इंजन से ही निकलता है । पीएम ही एक ऐसा तत्व है जो फेफड़ों से जुडी गंभीर बीमारी तो नाइट्रोजन ऑक्साइड सांस की तकलीफ के लिए जिम्मेदार है । नाइट्रोजन आक्साइड से उनको भी सांस की बीमारी हो सकती है, जिन्हें कभी सांस की कोई बीमारी नहीं है। 

भारत में उत्सर्जित कार्बन से उपयोगी केमिकल बनाया
दिनोंदिन बढ़ते कार्बन उत्सर्जन से निपटने के लिए दुनियाभर में कोशिश हो रही हैं । इसी क्रम में भारत ने दूसरी बार विश्व में अपना परचम लहराया है । पिछले साल तमिलनाडु में दुनिया का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा संयंत्र लगाया गया । अब भारतीय कंपनी कार्बन क्लीन सॉल्यूशंस ने ऐसी सस्ती तकनीक विकसित की है, जो उत्सर्जित कार्बन को बड़ी मात्रा में उपयोगी केमिकल में बदल रही है ।
इंजीनियर अनिरूद्ध शर्मा और प्रतीक ने २००९ में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी खडगपुर में पढ़ाई करने के दौरान कार्बन क्लीन सॉल्यूशंस की स्थापना की । तकनीक पर शोध के बाद पहली बार इसे तमिलनाडु के तूतिकोरिन स्थित एल्कलाई केमिकल्स प्लांट में लगाया गया है । 
इस प्लांट से सौ किमी दूर दुनिया का सबसे बड़ा सौलर फार्म कमुठी सोलर प्लांट है । दस वर्ग किमी क्षेत्रफल में बने इस फॉर्म की ६४८ मेगावट उत्पादन क्षमता है । इससे १५ लाख घरों को बिजली मिलती है । 
अभी उत्सर्जित कार्बन को धरती के नीचे चट्टानों में कैद करने की तकनीक लोकप्रिय है । यह कॉफी महंगी और लंबी प्रक्रिया है । कार्बन क्लीन सॉल्यूशंस की तकनीक को इस दिशा मेंअहम माना जा रहा है । गौरतलब है कि ऐसी ही तकनीक पर दुनियाभर में शोध हो रहे है । 
देश में कंपनी को वित्तीय मदद नहीं मिली । लेकिन मुम्बई के इंस्टीट्यूट ऑफ केमिलकल टेक्नोलॉजी और इंपीरियल कॉलेज ऑफ लंदन के साथ शोध जारी रखा गया । तभी ब्रिटेन से कंपनी को वित्तीय मदद मिली और तकनीक पर शोध आगे बढ़ा । अन्य देश भी इस प्रोेजेक्ट में रूचि दिखा चुके है । 

बॉयलर रूम मेंआग के बाद डूबा था टाइटेनिक
अब तक तो हम सभी यही जानते थे कि १९१२ में दुनिया का सबसे बड़ा जहाज टाइटेनिक हिमखंड से टकराने के कारण डूबा था । अब एक डाक्यूमेंट्री में टाइटेनिक के डूबने की वजह कुछ और बताई गई है । तीस साल से इस घटना पर शोध कर रहे पत्रकार सिनन मोलोनी ने दावा किया है कि इसके बॉयलर रूम में भीषण आग लगने के कारण यह हादसा हुआ था । 
इस आग से जहाज का अगला भाग क्षतिग्रस्त हो गया और हिमखंड से जहाज के बॉयलर रूम मेंआग लगने  से उसका तापमान १००० डिग्री हो गया । इससे जहाज का ढांचा इतना कमजोर हो गया कि हिमखंड से हुई हल्की से टक्कर से उसमें सुराख हो गए और पूरा जहाज जलमग्न हो गया । यह हादसा लापरवाही के कारण हुआ । इस आग के बारे में जहाज के अधिकारियों को बताया गया लेकिन उन्होंने उसे नजरअंदाज किया । 
नतीजजन १५०० से ज्याद लोगों की जल समाधि हो गई । 
१० अप्रेल १९१२ के टाइटेनिक ने ब्रिटेन के साउथैपटन से न्यूयॉर्क के लिए पहला सफर शुरू किया था । उत्तरी अटलांटिक महासागर में १४ अप्रेल को वह एक बड़े हिमखंड से टकराया था । इस कारण १५ अप्रेल की अलसुबह वह महासागर में डूब गया । 

देश के ८० हजार स्कूलों में सुरक्षा सर्वे 
बच्च्े स्कूलोंमें कितना सुरक्षित हैं, इस पर केन्द्र सरकार जल्द ही राष्ट्रव्यापी सर्वे करवाएगी । इसकी जिम्मेदारी राष्ट्रीय बाल अधिकार सुरक्षा आयोग (एनसीपीसीआर) को सौंपी गई है । महिला और बाल विकास मंत्रालय के तहत आने वाल एनसीपीसीआर अलग-अलग राज्यों के बाल आयोग जरिए यह सर्वे करवा रहा है, जिसके बाद रिपोर्ट तैयार कर मंत्रालय को सौंपी जाएगी । इसके जरिए स्कूल में बच्चें की स्थिति व सुरक्षा की वास्तविक स्थिति की रिपोर्ट की जाएगी । 
राज्य सरकारों को यह कार्य छह महीने में पूरा करना होगा । इसके बाद यह सर्वे एनसीपीसीआर के पास आएगा, जिसके आधार पर विस्तृत राष्ट्रीय रिपोर्ट तैयार की जाएगी जिसके आधार पर नए नियम और मानक बनेगे । स्कूलोंमें जरूरी बदलाव और बंदोबस्त भी किए जाएंगे । इसमें भावनात्मक सुरक्षों, यौन सुरक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर सेफ्टी, स्वास्थ्य डिजास्टर मैनेजमेंट के साथ ही न्यू एजुकेशन पॉलिसी भी शामिल है । छात्रों से जाना जाएगा कि स्कूल में वह इमोशनली कितना सेफ फील करते है । साथ ही उनके साथ लैगिक भेदभाव तो नहीं होता । 
एनसीपीसीआर के मुताबिक सर्वे के लिए जरूरी टूल्स तैयार कर लिए गए है और सभी राज्यों को भेज दिए गए है । इस सर्वे को एन्युअल स्टूडेंट रिपोर्ट ऑन सेफ एण्ड सिक्योर स्कूल एनवॉयरमेंट इन इंडिया    नाम दिया गया है सर्वे के लिए     छह मानक तय किए गए है, जिसके आधार पर प्रश्नावली, बनाई गई     है । इस प्रश्नावली को भी सभी  राज्य अपनी क्षेत्रीय भाषा में     तैयार करेंगे । राज्य आयोग की मदद से इस सर्वे को अंजाम दिया   जाएगा । 

१२ हजार करोड़ में बनेगी चार धामों को जोड़ने वाली सड़क
पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देवभूमि उत्तराखंड में चार धामों को जाड़ने वाली अहम परियोजना ऑल वेदर रोड की आधारशिला रखी । चार धाम राजमार्ग विकास परियोजना के तहत १२ हजार करोड़ की लागत से ९०० किमी की टू-लेन ऐसी सड़के बनाई जाएंगी, जिससे सभी मौसमों में इन मंदिरों की यात्रा की जा सकेगी । जहां भूस्लखन होता है, वहां जालियां लगाई जाएगी और जहां नदी में उफान आता है, वहां ऊंचेपुल बनाए जाएंगे । इसलिए इस रोड का नाम ऑल वेदर रोड रखा गया है । इसे वर्ष २०२० तक पूरा करने का लक्ष्य है । रोड बनने के बाद न भूस्खलन की चिंता रहेगी, न बाढ़ का खतरा । इस रोड से राज्य के पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा । 
चार धाम यात्रा उत्तराखंड राज्य मे स्थित बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री की यात्रा को कहा जाता है । हिंदू धर्म में कहा जाता है कि यह यात्रा न सिर्फ पापमुक्त करती है, बल्कि जन्म-मृत्यु के चक्र से भी परे ले जाती है । 
प्रोजेक्ट से कई तरह से लोगों को फायदा होगा । यात्रा के दौरान प्राकृतिक आपदा से लोगों को बचने में मदद मिलेगी । रास्ते में जगह-जगह पर सुरंग, बायपास, छोटे-बड़े पुल होंगे, जो बरसात के मौसम में मदद करेंगे । रास्ते में लोगों को खाने-पीने का इंतजाम होगा । पार्किग की भी जगह-जगह सुविधा होगी । अब तक यात्रियों की शिकायत रहती थी कि उन्हें कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ता है । रोड बनने से ये सारी समस्याएं दूर हो जाएंगी । 
प्रोजक्ट के तहत ३ हाइवे बनाए जाएंगे । पहला ऋषिकेश से रूद्रप्रयाग तक जाएगा । रूद्रप्रयाग के बाद यहां से दो रास्ते होंगे । एक बद्रीनाथ जाएगा और दूसरा गौरीकुंड होते हुए केदारनाथ तक पहंुचेगा । दूसरा हाइवे ऋषिकेश से शुरू होगा और धारासू तक पहुंचेगा । यहां से दो अलग-अलग रास्ते होंगे । पहला धारासू से गंगोत्री तक जाएगा और दूसरा यमुना यमुनोत्री तक पहुंचेगा तीसरा टनकपुर से पिथौरागढ़  जाएगा । 

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