गुरुवार, 19 जनवरी 2017

वनस्पति जगत
पेड़ों की ऊंचाई कौन तय करता है ?
डॉ. किशोर पंवार 

यह दुनिया तरह-तरह के अजूबों से भरी पड़ी है । इनमें एक अजूबा तो मनुष्य ही है, जो अपने आसपास की वस्तुआें को अलग-अलग नजरिए से देखता है । और फिर उन्हें जीवित और अजीवित जैसे समूहों में बांट कर उनका विस्तृत वर्गीकरण करता है । वह आगे जाकर दुनिया की छोटी से छोटी वस्तु दुनिया का सबसे विशाल जीव दुनिया का सबसे लंबा पेड़ आदि की सूचियां बनाता है । इस तरह का वर्गीकरण करना, सूचियां बनाना मनुष्य की स्वभावगत विशेषता है । इसी ने विज्ञान में टेक्सानॉमी जैसी शाखा को जन्म दिया है ।
सबसे छोटे फूलधारी पौधे का जिक्र हो तो वुल्फिया का नाम सामने आता है । यह एक मि.मी. आकार का जलीय पौधा है । सबसे बड़े बीजधारी या फूलधारी पेड़ों की बात हो तो थोड़ी दुविधा है । बड़ा यानी क्या ? ऊंचाई मेंबड़ा या मोटाई में बड़ा । मोटाई और आकार में तो जनरल शेरमन को ही यह सम्मान प्राप्त् है । वस्पति शास्त्री इसे सिकोया सेम्पेविरेन्स के नाम से जानते हैं । कैलिर्फोनिया के घने वर्षा वनों में मिलने वाले दो रेडवुड में से यह एक है । कोस्ट रेडवूड दुनिया का सबसे भारी और आयतन में सबसे बड़ा पेड़ है । 
कैलिर्फोनिया के राष्ट्रीय सिकोया उद्यान में स्थित जनरल शेरमन ९३.८ मीटर ऊंचा पे़ड़ है । पर इससे भी ऊंचा एक पेड़ है कोस्ट रेडवुड जिसका नाम हायपेरियान है । यह ११५.५ मीटर ऊंचा है । हालांकि जनरल शेरमन के तने की गोलाई ३१.१ मीटर है परन्तु यह मेक्सिको के ओऐक्सका के पेड़ अलअर्बोल डाई थुले (गोलाई ५४ मीटर) से तो छोटा ही है । 
अत: पेड़ों के आकार को लेकर उन्हें देखने के अलग-अलग तरीके हैं। सबसे मोटा, ऊंचा या अधिक आयतन वाला । जैसे कुछ वैज्ञानिक ऑस्ट्रेलिया के ग्रेट बेरियर कोरल रीफ को दुनिया का सबसे बड़ा जीव मानते है । परन्तु सच तो यह है कि यह कोई अकेला जीव नहीं जीवों का समुदाय है । इसी तरह कुछ शोधकर्ता वॉशिंगटन में खोजी गई एक कवक (जो लगभग ६०७ हेक्टर में फैली) को क्षेत्रफल के हिसाब से दुनिया का सबसे बड़ा या लम्बा जीव मानते हैं । 
अभी और भी किरदार हैं जो इसके दावेदार है । जैसे क्वेकिंग एस्पेन जो इसके दावेदार है । जैसे क्वेकिंग एस्पेन ट्री जो उटा के वास्टेक पहाड़ों में पाया जाता है । इसे स्थानीय रूप से पेन्डो कहा जाता है जिसका लेटिन भाषा में अर्थ होता है - मैं फैलता हॅू । 
पेन्डो ४७००० हजार पेड़ों का समूह है जो ४३ हेक्टर में फैले हुए हैं और संभवत: ८०,००० साल पुराने है । परन्तु कैलिफोर्निया के रेडवुड जनरल शेरमन से ये कुछ सौ टन कम हैं वजन में । इनका वजन ५.९८७ टन आंका गया है । पेन्डो को एक ही जीव माना गया है क्योंकि समूह के सभी पेड़ का जेनेटिक कोड एक ही है और उनकी जड़ें भी आपस में अन्दर ही अन्दर जुड़ी हुई है । दरअसल पेन्डो पेड़ एक-दूसरे के क्लोन ही हैं । पुराने पेड़ का तना ३० मीटर दूर तक फैलनेऔर फिर वाहं जक पकड़ लेने से नए पेड़ बनते हैं । ऐसा बार-बार हर पेड़ के साथ होता रहता है । यदि पर्यावरणीय दशाएं अनुकूल हो तो यह पेड़ फैलता रहता है । पेड़ों के फैलने की यह विधि वर्धी प्रसार कहलाती है और यह पेड़ पौधों का एक महत्वपूर्ण लक्षण है । 
अकेलेक्वेकिंग एस्पेन का तना पतला होता है और लगभग ३०-३५ मीटर तक ऊंचे हो सकते  हैं । मुश्किल परिस्थितियों में जीवित रह पाने और अपनी प्रजनन क्षमता के दम पर क्वेकिंग एस्प्रेन अमेरिका का सबसे आम पेड़ है ।
२००८ में हुए एक अध्ययन से पता चला है कि दुनिया का सबसे ऊंचा पेड़ डगलस फर है । इसकी लम्बाई लगभग १३८ मीटर है । पर सवाल यह है कि लम्बाई की ये सीमा क्यों ? ये पेड़ दरअसल प्रकृतिकी गगन चुम्बी इमारते हैं । किसी पेड़ की उच्च्तम सीमा तय होने के कारण भौतिक हैं । पहला यह कि ये पेड़ ऊपर की पत्तियों के लिए सिर्फ इसी अधिकतम ऊंचाई तक जमीन से पानी खींच सकते हैं । 
आम तौर पर ऐसा देखा गया है कि पेड़ जितना ऊंचा होता है उसकी पत्तियां छोटी होती जाती हैं । इस घटना के गणितीय स्पष्टीकरण पेड़ो की अधिकतम ऊंचाई भी तय करते है । 
हार्वर्ड विश्वविघालय के कारे जेनसन और कैलिर्फोनिया विश्वविघालय के मासिज जेविनेस्की ने १९२५ पेड़ों का अध्ययन किया और पाया कि पत्तियों का आकार मुख्यत: अपेक्षाकृत छोटे पेड़ों में ही ऊंचाई के लिहाज से बदलता है । अपने अध्ययन के लिए कुछ मिलीमीटर से लेकर एक मीटर से भी बड़ी पत्तियों वाले पेड़ों को इस हेतु चुना था । 
जेनसन का मानना है कि पत्तियों के आकार का स्पष्टीकरण इनके संचरण तंत्र में छिपा है । पत्तियों द्वारा बनाई गई शर्करा नलिकाआें के एक जाल, जिसे फ्लोएम कहते हैं, के माध्यम से शेष पौधे मेंविसरित होती है । जैसे-जैसे शर्करा आगे बढ़ती है उनकी गति तेज होती जाती है । अत: जितनी बड़ी पत्ती होती है शर्करा के विसरण की गति उतनी ही तेज होती जाती है । परन्तु फ्लोएम तनो, शाखाआें और मुख्य तने में अवरोध उत्पन्न करता है । ऐसी स्थिति में एक ऐसा बिन्दु आ जाता है जब पत्ती के लिए बड़ा होना ऊर्जा की दृष्टि से व्यर्थ हो जाता है । ऊंचे-ऊंचे पेड़ इस सीमा को छूते हैं जहां उनकी पत्तियां बहुत छोटी हो जाती है क्यों शर्करा को वहां से जड़ो तक पहुंचने में एक लंबा रास्ता तय करना पड़ता है जो एक बड़ा अवरोध पैदा करता है । जेनसन द्वारा दी गई समीकरण यह सम्बन्ध बताती है कि जैसे-जैसे पेड़ ऊंचा होता जाता है बड़ी और छोटी दोनों प्रकार की पत्तियों के जीवित रहने की संभावना असामान्य रूप से कम हो जाती है । 

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