गुरुवार, 19 जनवरी 2017

ज्ञान-विज्ञान
वर्ष २०१६ : विज्ञान में क्या हुआ ?
फरवरी २०१६ में लिगो वेधशाला ने गुरूत्व तरंगों को  पकड़ा । इन तरंगों की भविष्यवाणी आइस्टाइन के सामान्य सापेक्षता के सिद्धांत द्वारा १९१५ में की गई    थी । इस सिद्धांत के मुताबिक विशाल पिंड अपने आसपास के स्थान-समय को तोड़ते-मरोड़ते हैं । जब ऐसे पिंड में त्वरण होता है तो गुरूत्व तरंगें पैदा होती हैं । 
    मई २०१६ में एक फ्रंसीसी शैलाश्रय में डेढ़ लाख वर्ष पुरानी कुछ रचनाएं मिलीं जिनके बारे मेंविश्वास किया जा रहा है कि इन्हें मानव-सदृश जीव निएंडरथल ने बनाया होगा । ये रचनाएं स्टेल्गेमाइट से बनी हैं । अभी यह नहीं कहा जा सकता कि क्या इन्हें किसी मकसद से बनाया गया था । 
गूगल की सहायक कंपनी डीपमाइंड द्वारा विकसित कृत्रिम बुद्धि अब गो नामक एक खेल में मनुष्य को परास्त कर सकती है । मार्च २०१६ में अल्फागो नामक इस कृत्रिम बुद्धि ने विश्व चैम्पियन ली सेडॉल को पांच मुकाबलों की एक श्रृंखला में ४-१ से हरा दिया । 
जुलाई में यह खबर आई कि रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) के साथ संतानोत्पति की क्षमता समाप्त् होना अनिवार्य नहीं है । शोधकर्ताआें ने पाया कि मेनोपॉज के बाद अंडाशयों को पुन: सक्रिय किया जा सकता है और स्त्री संतान पैदा करने में सक्षम बनाई जा सकती है । इससे कम उम्र में मेनोपॉज के बाद भी स्त्री संतान पैदा कर सकेगी और मेनोपॉज के कई हानिकारक प्रभावोंसे मुक्ति मिल सकेगी । 
वायुमंडल मेंकार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा में वृद्धि का धरती के गर्म होने में प्रमुख योगदान है । कुछ गणनाआें से स्पष्ट हुआ है कि तापमान पर कार्बन डाईऑक्साइड का प्रभाव अनुमान से कहीं अधिक होता है  । 
इसी वर्ष सितंबर में तीन पालकों से उत्पन्न शिशु की खबर आई थी । इस तकनीक में तीन व्यक्तियों से प्राप्त् डीएनए से एक शिशु का जन्म हुआ था । ऐसा माना जा रहा है कि इस तकनीक का उपयोग करके बच्चें को जेनेटिक रोगों से बचाया जा सकेगा । 
जनवरी में दो खगोल शास्त्रियों ने सौर मंडल के ९वें ग्रह की खोज की घोषणा की थी । इस ग्रह का द्रव्यमान पृथ्वी से १० गुना ज्यादा है और यह सूर्य से बहुत दूर है - सूर्य-पृथ्वी की दूरी से करीब १०० गुना ज्यादा दूर । आसपास के अन्य पिंडों की विचित्र कक्षाआें को देखकर इस ग्रह की उपस्थिति का अनुमान लगाया गया है । 
फरवरी में शोधकर्ताआें ने बताया कि खाते वक्त गोरिल्ला गाते-गुनगुनाते हैं । शोधकर्ताआें का कहना है कि यह गुनगुनाना बताता है कि गोरिल्ला अपने भोजन से कितने संतुष्ट हैं । इस खोज से भाषा के विकास पर नई रोशनी पड़ने की उम्मीद है । 
अगस्त में हमसे मात्र ४ प्रकाश वर्ष की दूरी पर एक पृथ्वीनुमा ग्रह प्रॉक्सिमा-बी खोजा गया । यह अपने सूर्य प्रॉक्सिमा सैंटोरी से करीब ७३ लाख किलोमीटर दूर परिक्रमाकरता है  जो पृथ्वी की सूर्य से दूरी (१५ करोड़ किलोमीटर) का मात्र ५ प्रतिशत है । किंतु वह तारा एक लाल बौना तारा है, इसलिए संभव है कि इस ग्रह का तापमान जीवन के लिए उपयुक्त होगा और वहां पानी तरल अवस्था में मिल सकता है । 
पहली बार यह देखा गया है कि पेड़ सोते हैं और सोते समय उनमें शारीरिक परिवर्तन होते हैं । पहले ऐसे परिवर्तन छोटे पौधों में देखे गए थे । पहले ऐसे परिवर्तन छोटे पौधों में देखे गए थे । बर्च पेड़ों की शाखाएं रात के वक्त कम से कम १० से.मी. तक झुक जाती है । 
नवम्बर में एक खबर यह आई कि यदि बूढ़े चूहों को जवान मनुष्यों का खून दिया जाए, तो उनमें बुढ़ाने के लक्षण कम हो जाते हैं । प्रयोगों में देखा गया कि जिन बूढ़े चूहों को १८-वर्षीय लोगों का खून दिया गया, उनकी याददाश्त बेहतर  हुई । 
जीन संपादन का चिकित्सा में उपयोग शुरू 
वर्ष २०१५ में लायला नाम की ल्यूकेमिया से पीड़ित एक बच्ची का उपचार ऐसी प्रतिरक्षा कोशिकाआें से किया गया था जिनमें जेनेटिक फेरबदल किए गए थे । दूसरे शब्दों में इनमें जीन-संपादन किया गया था । इस उपचार के बाद ल्यूकेमिया के सारे लक्षण गायब हो गये थे । अब जीन संपादन की यह तकनीक इस स्थिति में आ चुकी है कि २०१७ के अंत तक कई लोगों की जान बचाई जा सकेगी । 
       जीन संपादन का मतलब है कि मौजूदा जीन्स में फेरबदल करना या उन्हें निष्क्रिय कर देना । यह करना बहुत मुश्किल रहा है । जीन संपादन की ऐसी विधियां विकसित करने में कई वर्ष लगे थे जिनकी मदद से लायला का जीवन बचाया जा सका । मगर अब क्रिस्पर तकनीक के आविष्कार के बाद यह काम आसानी से किया जा सकता   है । 
क्रिस्पर तकनीक इतनी कारगर है कि मामला इसके क्लीनिकल परीक्षण के चरण में पहुंच चुका है । चीन में इसका उपयोगी पीडी १ नामक एक जीन को निष्क्रिय बनाने में किया जा रहा है। यह जीन एक कैंसरग्रस्त व्यक्ति की प्रतिरक्षा कोशिकाआें से निकाला गया है । इनके पीडी-१ जीन में फेरबदल करके इन्हें वापिस व्यक्ति के शरीर में पहुंचा दिया जाता है । दरअसल, पीडी-१ जीन प्रतिरक्षा 
कोशिकाआें की सतह पर एक स्विच की तरह काम करता है और कई कैंसर कोशिकाएं इसी स्विच से जुड़कर उसे बंद कर देती है । संपादित कोशिका में ऐसा कोई स्विच नहीं होता जिसे कैंसर कोशिकाएं बंद कर सके । 
यूएस में चल रहे इसी प्रकार के एक परीक्षण का लक्ष्य कहीं अधिक महत्वाकांक्षी है । इसके अन्तर्गत प्रतिरक्षा कोशिकाआें म ेंएक अतिरिक्त जीन जोड़ा गया है ताकि प्रतिरक्षा कोशिकाएं कैंसर गठान पर आक्रमण कर सके । इन नवीन प्रतिरक्षा कोशिकाआें के पीडी १ जीन को निष्क्रिय कर दिया गया है । ऐसे जीन को जोड़कर ल्यूकेमिया जैसे कई किस्म के कैसरों के उपचार में मदद मिली है । अभी ठोस गठानों के संदर्भ मेंसफलता नहीं मिल पाई है । अब माना जा रहा है कि पीडी-१ जीन को निष्क्रिय कर देने से इसमें भी सफलता मिलेगी । 
यदि इन दो परीक्षणों से पता चलता है कि कोशिका के जीनोम का संपादन सुरक्षित है, तो जल्दी ही इस तकनीक का उपयोग कई बीमारियों में किया जा सकेगा, ऐसी उम्मीद   है । 
धरती के नीचे पिघले लोहे की धारा
हमारे पैरो तले की जमीन के नीचे पिघले लोहे की एक नदी बह रही है । यह लोहा लगभग सूरज की सतह के तापमान जितना गर्म है । और तो और, यह धारा रफ्तार पकड़ती जा रही है । 

     तरल पदार्थ  की इस धारा की खोज युरोपीय एजेंसी द्वारा वर्ष २०१३ में प्रक्षेपित तीन उपग्रहों के एक साथ उपयोग से संभव हुई थी । इन तीन उपग्रहों की तिकड़ी को स्वार्म कहते हैं । इन तीन उपग्रहों की खासियत यह है कि ये अंतरिक्ष से पृथ्वी की सतह से ३००० किलोमीटर की गहराई में हो रही चुंबकीय उथल-पुथल को भांप और माप सकते  है । यह वह स्थान है जहां पृथ्वी का पिघला हुआ कोर केन्द्र में उपस्थित ठोस मैंटल के संपर्क में है । 
     एक साथ तीन उपग्रहों की उपस्थिति का फायदा यह था कि पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र में अन्यत्र हो रहे परिवर्तनों को अलग करके देखा जा सकता था कि कोर-मैटल की संपर्क सतह पर क्या चल रहा है । 

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