पर्यावरण समाचार
अब आर्डर पर मिलेगी हिमालय की शुद्ध हवा
अगर आप घर बैठे शुद्ध हवा लेना चाहते हैं, और वो भी हिमालय की हवा तो, अब आप इसे ऑनलाइन मंगवा सकतेहैं । सुननेमें ये आपको अजीब-सा लग रहा हो, लेकिन ये सच है । अब हवा की ऑनलाइन बिक्री शुरू हो गई है । देश के साथ विदेशी शुद्ध हवा को बोतल मेंबंद कर ग्राहकों के घर तक पहुंचा रही हैं ।
इंटरनेट पर ताजा हवा की ऑनलाइन बिक्री जारी है । प्योर हिमालयन एयर कंपनी का दावा है कि वो१० लीटर शुद्ध हवा से भरी बोतल ५५० रूपए मेंग्राहकों को बेच रही है । इस हवा भरी बोतल से आप करीब १६० बार सांस ले सकेगे । कंपनी की ओर से हिमाचल के वादियों की ताजा हवा देने का दावा किया जा रहा है । सांस लेने के लिए बोतल के साथ मास्क भी दिया जा रहा है ।
कम्पनी की मानेंतो बोतल में उत्तराखंड के चमोली में हवा का कम्प्रेस करके बोतलों में भरा जाता है । कंपनी का दावा है कि हवा की बोतल के साथ लगे मास्क से एक सेकंड में एक बार सांस लिया जाता है, उसी तरह से कम्प्रेस करके एक बोतल से कुल १६० बार सांस लेने के बाद बोतल खाली हो जाएगी । भारत में हवा विदेशी कंपनियां भी बेच रही हैं ।
ऑस्ट्रेलिया और कनाड़ा की कंपनी बोतल में शुद्ध हवा बंद करके भारत में बेचने का कारोबार शुरू कर चुकी है । ऑस्ट्रेलिया की कंपनी ऑजेयर दो साइज की बोतलों में हवा बेच रही है । साढ़े ७ लीटर ताजा हवा की बोतल की कीमत १४९९ रूपए और १५ लीटर ताजा हवा वाली बोतल की कीमत १९९९ रूपए है । वहीं कनाड़ा की कंपनी वाइटलिटी एयर भी भारत में बोतल में हवा बंद करके बेच रही है ।
हालांकि जानकार इस कारोबार पर सवाल उठा रहे हैं । उनका कहना है कि कोई ३ तीन मिनट तक शुद्ध हवा से कोई फायदा नहीं होने वाला है । हालांकि जिस तरह से दिल्ली एनसीआर समेत देश के दूसरे हिस्सों में वायु प्रदूषण का लेवल बढ़ता जा रहा है, उसे देखते हुए शुद्ध हवा का कारोबार अगर तेजी से फैलनेलगे तो इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है ।
समुद्री प्रदूषण रोकने को मरी मछलियां चलाएंगी जहाज
समंदर में प्रदूषण रोकने के लिए नए-नए तरीकों का इस्तेमाल हो रहा है। इसी दिशा में नॉर्वे की एक जहाज कंपनी ने पहल की है । कंपनी अब अपने जहाजोंको चलाने के लिए मरी हुई मछलियोंका इस्तेमाल करेगी । क्रूज शिपिंग कंपनी हर्टिग्रुटेन ने यह ऐलान किया है ।
कंपनी कार्बन उत्सर्जन करने वाले ईधन का इस्तेमाल बंद कर देगी और जहाज चलाने के लिए समुद्र की मरी हुई मछलियों से पैदा होने वाली तरल बायोगैस का इस्तेमाल करेगी । इस तरह के जहाजों में बैटरी भी लगाई जाएगी । कंपनी के सीईओ डेनियल शेलडम के मुताबिक, मरी हुई मछलियां जहां समुद्री पर्यावरण के लिए परेशानी खड़ी कर सकती हैं, वहीं हमारे लिए यह एक नया संसाध है । अभी ज्यादातर जहाजी कंपनियां सस्ते और प्रदूषण फैलाने वाले ईधन का सहारा ले रही है, लेकिन हमारे जहाज प्राकृतिक तरीकों से चलेगे ।
करीब १२५ साल पुरानी हर्टिग्रुटेन के पास १७ जहाजों का बेड़ा है । कंपनी २०२६ तक अपने ६ जहाजों का बायोगैस से चलने लायक बनाना चाहती है । हर्टिग्रुटेन का कहना है कि वह २०१९ तक दुनिया का पहला हाइब्रिड क्रूज शिप लॉन्च कर देगी । इस तरह के जहाजों में बैटरी भी लगाई जाएंगी । शिप को दो तरीकों से स्वच्छ ऊर्जा से चलाया जा सकेगा ।
जीवाश्म ईधन समुद्री जीवन के लिए बड़ा खतरा है । इसके जरिए पानी में सल्फर जैसे प्रदूषक मिल जाते हैं, जो मछलियों के साथ-साथ समुद्र में रहने वाले बाकी जीवों के लिए भी खतरनाक है । जीवाश्म ईधन के इस्तेमाल से जलवायु परिवर्तन का बड़ा खतरा पैदा होता है । दूसरी तरफ मरी हुई मछलियों से पैदा होने वाली मीथेन से आसानी से ज्यादा ऊर्जा पैदा की जा सकती है ।
खेत को चाहिए कितना पानी, पंप खुद तय करेगा
खेत को कितने पानी की जरूरत है और उसे कितनी नमी चाहिए, इसे लेकर अब किसान का काम आसान होजाएगा । सीएम-आरआई द्वारा विकसित सेंसर युक्त पंप खुद चलेगा और जरूरत के मुताबिक पानी देकर बंद होजाएगा । इससे पानी की बर्बादी तो रूकेगी ही किसान की ऊर्जा और समय की भी बचत होगी ।
झारखंड के दुर्गापुर स्थित केंद्रीय वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएमआरआई ) के सूचना एवं तकनीकी विभाग के वैज्ञानिक आरके जैन और उनकी टीम नेयह युक्ति खोज निकाली है । उन्होंनेकाफी मेहनत कर इस स्मार्ट इरिगेशन सिस्टम कोविकसित किया है । इसका सफल प्रयोग भी संस्थान में किया जा चुका है ।
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