सोमवार, 20 मई 2019

पर्यावरण समाचार
स्वच्छता अभियान में साफ हुई इन्दौर की हवा 
इन्दौर जबसे मध्यप्रदेश का सबसे स्वच्छ नगर घोषित हुआ है, उसके बाद से यहां के नागरिकोंको इस स्वच्छता के मायने अच्छी तरह समझ आने लगे हैं । इन्दौर को स्वच्छता को का लाभ केवल साफ-सुथरी सड़कों और कचरा मुक्त गलियों के रूप में ही नही मिला बल्कि सफाई के कारण अच्छे स्वास्थ्य और प्रदूषण में कमी का लाभ भी मिल रहा है । अपने नगर को साफ रखने के जो छूपे हुए फायदे हैं, वे यहां के नागरिक भली-भांति महसूस कर रहे हैं । 
इन्दौर में स्वच्छता अभियान शुरू होने के तीन साल बाद जब परिणाम आना शुरू हुए, तो लोगो ं और सरकार को इस अभियान की अहमियत मालूम हो गई । लोगों को तब अहसास हुआ कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस विजन की दूरदर्शिता क्या थी । सन् २०१७ में मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट आई तो पता चला कि इन्दौर में वायु प्रदूषण घटकर ४२ फीसदी तक नीचे आ गया । जबकि सन् २०१४ में जब ये अभियान शुरू किया गया, इन्दौर में प्रदूषण का स्तर १४३ प्रति क्यूबिक मीटर था । ये आंकड़ा २०१६ में घटकर ९२ पर आया और अगले साल २०१९ के ताजे आंकड़े ने इन्दौर की सांसों में खुशनुमा हवा भर दी है । इस साल ये आंकड़ा महज ६४ क्यूबिक मीटर पर आ गया है । निश्चित रूप से किसी शहर के लिए गर्व करने वाली बात है । 
स्वच्छता अभियान से इन्दौर ने तीन परिणाम दिए - साफ सड़के, अच्छा स्वास्थ्य और सुधरता पर्यावरण । इन्दौर का रंग अब प्रदेश क्या, देश के दूसरे शहरों पर भी चढ़ने लगा है । सफाई के लिए प्रतिस्पर्धा की जा रही है, जो भविष्य के सुखद संकेत दे रही है । 
अब समय आ गया है कि देश के दूसरे राज्य भी इन्दौर को मॉडल बनाकर अपने यहां लागू करें । कचरे से ईधन बनाकर अपने शहरों के सिटी ट्रांसपोर्ट को गति दे । छत्तीसगढ़, राजस्थान, उत्तरप्रदेश भी चाहें तो अपने नागरिकों को सिर्फ सफाई से ही बड़ा सुकून दे सकते हैं। बस आवश्यकता है इच्छाशक्ति दिखाने  की । ये देखना सुखद है कि पड़ोसी शहर उज्जैन पर भी सुन्दरता और सफाई का रंग चढ़ने लगा है । अवंतिका नगरी नए सिरे से संवारी जा रही है ।

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