सोमवार, 20 मई 2019

कविता
कुदरत का हम काम करेंगे 
रूपनारायण काबरा

फूल ने कहा,
तितली रानी पंख तुम्हारे सुन्दर हैं,
नृत्य तुम्हारा मन-मोहक है
मुझको तुम अच्छी लगती हो
मुझको तुमसे प्रेम हो गया,
क्या मैं कह दूं, आई लव यू ।
तितली बोली, कितने सुन्दर फूल हो तुम !
कितनी प्यारी खुशबू हैं !
मन्द पवन के झोंको से,
हिलते हो तब नृत्य तुम्हारा मस्ती देता,
तुम मुझको अच्छे लगते हो,
लेकिन मैं ना कह सकती हॅू, आई लव यू !
तितली रानी, क्या कारण है इसका ?
केवल मेरी ही होती क्यों ना,
यह तो मुझको बतलाओ,
तितली बोली, फूल-फूल पर मैं हॅूं जाती,
लेती पराग, उसे पहँुचाती अन्य दूसरे फूलोंको 
जिससे होती क्रिया परागण,
क्रिया परागण की रूक जाये तो फिर
भांति-भांति के फूल ना होंगे,
कुदरत के नियमोंसे हम सब बंधे हुये हैं,
इंसानों की तरह नियम हम नहीं तोड़ते
मैं तितली, तुम फूल हो,
दोस्त रहेंगे सदा सदा ही, हंसते, गाते और नाचते 
कुदरत का हम काम करेगे,
बागों को गुलजार करेंगे ।

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