सोमवार, 20 मई 2019

सम्पादकीय
गोंद के लिए पेड़ों को रसायन के इंजेक्शन
मध्यप्रदेश मेंसतपुड़ा के जंगलों में इन दिनों गोंद माफिया सक्रिय है । धावड़ा और सलाई के पेड़ों में अप्राकृतिक तरीके से रासायनिक इंजेक्शन लगाकर गोंद निकाला जा रहा है । इस प्रक्रिया में माफिया जंगल से जूड़े आदिवासियों का उपयोग कर रहे हैं । रासायनिक इंजेक्शन लगाने से इन पेड़ों को जहां पर्यावरणीय नुकसान हो रहा है, वहीं पेड़ निर्धारित क्षमता से अधिक गोंद उगल रहे हैं । यह गोंद सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है । इन पेड़ों की पत्तियों के सेवन से मवेशियोंको भी खतरा बना हुआ है । गोंद के कारोबार में क्षेत्रीय कारोबारियों के अलावा अन्य स्थानों के लोग भी आने लगे हैं और यह सबकुछ प्रतिबंध के बाद हो रहा है । जिम्मेदार अधिकारी इस गोरखधंधे की बात को नकार रहे है । 
सूत्र बताते है कि महाराष्ट्र सीमावर्तीसतपुड़ा पर्वत के वनक्षेत्रों से लगे बड़वानी जिले के बरला, बलवाड़ी और खरगौन जिले के महादेव सिरवेल से लेकर सुलाबेडी सहित बुरहानपुर के असीरगढ़ तक फैले वन क्षेत्रों में गोद निकाला जा रहा है । यह लगभग ६०-७० किमी का लम्बा इलाका है । जंगलों में २०० से अधिक श्रमिक को इस काम में लगाया गया है । केमिकल की मदद से निकलने वाला गोंद सामान्य गोंद से अधिक चमकदार होता है । यह गोद किराना दुकानों के अलावा थोक व्यापारियों को भी बेचा जा रहा है । 
इंजेक्शन से गोद निकालने से वन और पर्यावरण को खतरा पहुंचता है । महाराष्ट्र में इसको लेकर अन्य नियम होने की वजह से तस्करी रोकने में दिक्कत आती है । 
इथिफोन रसायन के उपयोग से गोंद निकालने की कोशिश में ५-६ साल में वृक्ष नष्ट होने लगते है । यह प्रक्रिया असंवहनीय एवं अप्राकृतिक है, इसलिए हो रही क्षति को रोकने के लिए एक जनवरी २०१९ से गोंद निकालने पर ही प्रतिबंध लगा दिया गया है ।लेकिन सवाल यह है कि प्रतिबंध केबावजूद यह सिलसिला जारी है जो प्रकृति के साथ ही मानव जीवन के लिए भी खतरा है । 

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