बुधवार, 18 सितंबर 2019

सम्पादकीय 
नौकरी छोड़ बनाया ३०० एकड़ का जंगल
एक तरफ दुनियाभर में पेड़ काटे जाने से ग्लोबल वॉर्मिग की समस्या बढ़ती जा रही है । दूसरी तरफ मणिपुर के मोइरांगथेम लोइया ने अकेले ही ३०० एकड़ का जंगल तैयार कर डाला है । लोइया पिछले १८ सालों से पेड़ लगा रहे है, उन्हें संरक्षित कर रहे हैं । मेडिकल रिप्रेजेटेटिव का काम करने वाले लोइया १७ साल पहले ही अपनी नौकरी छोड़ चुके है और अब सिर्फ वन संरक्षण का ही काम करते   है । 
वृक्ष प्रेमी ४५ वर्षीय माइरांगथेम लोइया इफाल वेस्ट के उरीपोक खैदेम के निवासी है । उन्होंने पुनशिलोक नाम के जंगल को फिर से जिंदा कर दिया है । बचपन में लोइया इन जंगलों में जाया करते थे । सन २००० में कॉलेज खत्म करने के बाद जब वह जंगल में गए तो हरे-भरे जंगलों की जगह उजड़े वन पाकर हैरान रह गए । जंगल तैयार करने के लिए लोइया ने २००२ में जमीन की तलाश शुरू कर दी । एक स्थानीय व्यक्ति लोइया को मारू लांगोल हिल रेंज ले गया । इस स्थान पर एक भी पेड़ नहीं था । 
अब इस जंगल में बांस की लगभग २५ प्रजातियां पाई जाती है । अब पुनशिलोक जंगल ३०० एकड़ का हो गया है । यहां जीव और पौधों की बहुत सारी प्रजातियां पाई जाती है । यहां २५० अलग-अलग तरह के पौधों में कई आयुर्वेदिक औषधियां भी पाई जाती है । इसके अलावा सांप, भालू, तेन्दुआ, साही और कई वन्य जानवर भी पाए जाते है । जानवरों के अलावा पुनशिलोक जंगल पक्षियों का भी घर है । 
अपना घर चलाने के लिए लोइया अपने भाई के मेडिकल स्टोर पर फार्मासिस्ट का काम करते है । वह आर्गेनिक खेती भी करते है । हजारों पेड़ लगा चुके लोइया अभी और पौधे लगाकर जंगल तैयार करना चाहते है । वह कहते है मैं खुद को पेंटर मानता हॅू । दूसरे कलाकार कलर, ब्रश और केनवास का इस्तेमाल करते है । मैने पहाड़ियों को अपना कैनवास बनाया और उन पर पौधे लगाए, जिनपर फूल खिलते है जो मनोहारी दृश्य पैदा करते है ।

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