शनिवार, 23 अक्तूबर 2010

१३ खेल जगत


राष्ट्रमंडल खेल और पर्यावरण
डॉ.ओ.पी.जोशी

खेलों का आयोजन पर्यावरण पर विपरित प्रभाव डाल सकता है यह कल्पना ही अजीब सी लगती है । परंतु राष्ट्रमंडल खेलों के कारण हो रहे अनियंत्रित निर्माण कार्योंा ने दिल्ली को जबरदस्त प्रदूषित बना दिया है । आवश्यकता इस बात की है कि खेलों में सादगी को अपनाया जाए ।
देश की राजधानी नईदिल्ली में इन दिनों राष्ट्रमंडल खेलों (कामनवेल्थ गेम्स) का आयोजन चल रहा है । इस हेतु राजधानी को वर्ल्ड क्लास शहर बनाने के प्रयास किये गये हैं। इनमें स्टेडियम, आवास, आने जाने हेतु फ्लाय ओवर, अंडर-पास मेट्रो की नई लाइन, सड़कों का निर्माण एवं सुधार तथा वाहनों के रखने हेतु पार्किंग स्थल भी बनाये गये हैं । निर्माण कार्योंा से हुआ हरियाली का सफाया एवं बढ़ते वाहनों की संख्या से दिल्ली के पर्यावरण पर विपरित प्रभाव हुआ है एवं प्रदूषण स्तर बढ़ा है । अत्यधिक निर्माण के कारण दिल्ली के पर्यावरण पर हो रहे विपरित प्रभाव के संदर्भ में न्यायालय को भी हस्तक्षेप करना पड़ा था ।
यमुना किनारे बन रहे विशाल खेलगांव का विरोध इसीलिए किया गया था कि पक्के निर्माण कार्योंा से वहां की जल पुर्नभरण प्रणाली में गड़बड़ी होगी । केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने २००४ में निर्माण कार्योंा पर रोक भी लगायी थी । खेलगांव में २५ स्विमिंग पूल, २००० तथा ४८०० वर्गफीट क्षेत्र में जिम एवं फिटनेस सेंटर बनाये जाने
थे । २३ अगस्त २००४ को जंतर मंतर पर खेलगांव के विरोध में धरना व प्रदर्शन भी किया गया था । जिसमें मेगसैसे पुरस्कार विजेता राजेन्द्रसिंह नवधान्य की संस्थापक डॉ.वंदना शिवा एवं एस.ए.नकवी ने भाग लिया था । २८ अगस्त २००७ को रक्षा बंधन के पर्व पर यमुना किनारे लगे वृक्षों को राखी बांधकर उन्हें बचाने का संकल्प लिया गया था ।
दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति निवास के पास प्राचीन पेड़ों को खेल आयोजन हेतु काटने का विरोध किया गया । दिल्ली वि.वि. के एनवायरनमेंटल जस्टिस फोरम ने इस संदर्भ में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति एवं मुख्य न्यायाधीश को ज्ञापन भी प्रेषित किये थे । इसी प्रकार सीरी फोर्ट क्षेत्र में स्क्वाश स्टेडियम, एप्रोच रोड एवं भूमिगत पार्किंग आदि के लिए लगभग एक हजार पेड़ काटे जाने थे । रहवासी लोगों ने इसे रोकने हेतु सर्वोच्च्न्यायालय में याचिका लगायी । न्यायालय की एक कमेटी ने इस पूरी परियोजना को पर्यावरण के लिए खतरनाक बनाया एवं दिल्ली विकास प्राधिकरण को चेतावनी देते हुए कहा कि वह पेड़ काटने से बाज आए ।
घटती हरियाली, बढ़ते निर्माण कार्य एवं वाहनों से दिल्ली में वायु प्रदूषण भी बढ़ा है । निर्माण कार्योंा में कोई भी सुरक्षात्मक उपाय नहीं अपनाये गये । वर्ष २००६ से २००८ तक दिल्ली में निम्नलिखित धूलकण (एस.पी.एस.) एवं श्वसनीय निलम्बित धूल कण (आर.एस.एस.पी.एम.) की मात्रा क्रमश: ३२६ एवं १४० माइक्रो ग्राम प्रतिघनमीटर थी । वर्ष २००९ में एस.पी.एस. एवं आर.एस.पी.एम. की मात्रा बढ़कर ४८४ एवं २७२ मि.ग्रा. घनमीटर थी जो इस वर्ष २०१० में यह और अधिक बढ़कर ५५३ एवं ३३२ हो गयी । नियमानुसार इनकी सुरक्षित मात्रा २०० एवं ६० निर्धारित है । एस.पी.एम. एवं आर.एस.पी.एम. के साथ साथ कार्बन मोनो आक्साइड, सल्फर डायआक्साइड एवं
नाइट्रोजन आम्लापइडस ( एन.ओ.एम्स) की मात्रा भी दिल्ली के वायुमंडल में बढ़ती जा रही है जिनमें वाहनों का योगदान प्रमुख है ।
यहां यह जानना भी प्रासंगिक होगा कि चिन में बीजिंग ओलम्पिक के समय सारे निर्माण कार्योंा के क्षेत्रों को अस्थायी रूप से ढका जाता था ताकि आसपास का वायुमंडल सुरक्षित रहे । दिल्ली में ऐसा कुछ भी नहीं किया गया । दिल्ली में वायुप्रदूषण के कारण वैसे ही स्थिति खराब है । विज्ञान एवं पर्यावरण केन्द्र (सी.एस.ई.) द्वारा मई २०१० में जारी रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण स्वच्छ हवा के दिन घटते जा रहे हैं । वर्ष २००६ से २००८ के मध्य दिल्ली में ३० प्रतिशत दिन ऐसे थे जब वायु प्रदूषण न्यूनतम स्तर पर था । वर्ष २००९ में ४० प्रतिशत दिन स्वच्छ माने गये । वर्ष २०१० में जनवरी से अप्रैल तक सिर्फ ९ दिन निरापद आंके गये । अक्टूबर से प्राय: शीतकाल भी प्रारम्भ हो जाता है । एवं इस मौसम में कम तापमान व वायु गति से प्रदूषण की सघनता बढ़ जाती है । इस समय कोहरे की समस्या भी हो सकती है जो खिलाडियों के लिए खतरनाक है ।
सन् १९७८ में लॉस एंजेलिस में राष्ट्रीय खेलों के समय १२ खिलाड़ी कोहरे से प्रभावित होकर बीमार पड़ गये थे । दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम व नेशनल स्टेडियम मुख्य मार्गोंा के नजदीक होने से यहां वायु प्रदूषण अधिक है । खतरनाक माने जाने वाले कण पी.एम.-१० की मात्रा चार गुना ज्यादा है । अधिक वायु पदूषण के कारण खिलाडियों में अस्थमा की सम्भावना बढ़ जाती है । एथलीट सामान्य की तुलना में १०-२० गुना ज्यादा हवा ग्रहण करते हैं एवं ओजोन की मात्रा इस पर विपरीत प्रभाव डालती है । ०.०२ पी.पी.एम. ओजोन खिलाडियों को एक घंटे में ही थका देती है । कुछ वर्षोंा पूर्व दिल्ली के भारी वायु प्रदूषण के कारण आस्ट्रेलिया के क्रिकेट बोर्ड ने खिलाडियों को दिल्ली में मैच खेलने से मना किया था ।
दिल्ली सरकार राष्ट्रमंडल खेलों को पर्यावरण अनुकूल बनाने हेतु प्रयासरत है । खेलों के दौरान प्रदूषण स्तर को नियंत्रित करने, कूड़े कचरे का उचित निपटान, ऊर्जा व जल प्रबंधन एवं यातायात जन्य प्रदूषण को कम करने के प्रयास किये जा रहे हैं । ये उपाय कितने सफल होते हैं यह तो आने वाला समय ही बताएगा ।
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