शनिवार, 23 अक्तूबर 2010

७ विदेश


सिंगापुर : रेती की भूख और पर्यावरण
टाम लेविट

आधुनिक विकास मेंशोषण अन्तर्निहित है । सिंगापुर आज स्वयं को एक साफ-सुथरा व पर्यावरण के प्रति जागरूक देश सिद्ध करने में सफल होता जा रहा है । समुद्र में भराव कर अपने को फैलाने वाला यह शहर देश अपने पड़ोसियों से अवैध रूप से रेती लाकर उनका पर्यावरण नष्ट कर रहा है । अब उसकी आँखे बांग्लादेश पर लग गई हैं ।
दक्षिण-पूर्व एशिया खासकर सिंगापुर में रेती के बढ़ते व्यापार से समुद्री परिस्थितिकी तंत्र और मछलियों को व्यापक नुकसान पहुंच रहा है । अत्यन्त घने बसे सिंगापुर ने समुद्र में भराव करके सन् १९६० से अब तक अपने क्षेत्रफल में २० प्रतिशत से अधिक की वृद्धि की है । इस प्रकार २००८ में कोई १.४२ करोड़ टन रेती आयात कर वह दुनिया का सर्वप्रथम देश बन गया । रेती का अधिकांश निर्यात पड़ोसी देशों-इंडोनेशिया, मलेशिया और वियतनाम से होता है । अब ये तीनोें देश रेती के निर्यात पर प्रतिबंध या इसे नियंत्रित करने का प्रयास कर रहे हैं । परन्तु अगले १० वर्षोंा में अपने क्षेत्रफल में अतिरिक्त ७ प्रतिशत की वृद्धि का इच्छुक सिंगापुर अब अपनी मांग की पूर्ति के लिए एक अन्य पड़ोसी कम्बोडिया पर निर्भर होता जा रहा हैं हालांकि सार्वजनिक तौर पर कम्बोडिया का दावा है कि उसने रेती के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है । लेकिन एक स्वयंसेवी संगठन ग्लोबल विटनेस का दावा है कि कम्बोडिया के प्रांत कोहकांग से ही कोई ७,९६,००० टन रेती, जिसका अंतर्राष्ट्रीय मूल्य २४.८० करोड़ अमेरिकी डॉलर है, निकालकर प्रतिवर्ष सिंगापुर को निर्यात की जा रही है ।
रेती निकालने की जबरदस्त पर्यावरणीय लागत आती है । निकर्षण या रेती निकालने से पानी की गुणवत्ता घटती है और उसमें गंदलापन आ जाता है । फलस्वरूप सूर्य की रोशनी बाधित होती है । और समुद्री घास एवं कोरल चट्टानों सहित अनेक पौधे नष्ट हो जाते हैं । रेती निकालने से प्राकृतिक तटबंदी में व्यवधान होता है जिसके परिणामस्वरूप भू-कटाव और बाढ़ का खतरा बढ़ता जाता है । इससे समुद्री जीवों की संख्या में भी काफी कमी आई है । आंदोलनकारी कम्बोडिया के कोह कांग प्रांत में रेत के खनन की बढ़ती गतिविधियों को लेकर चिंतित है कि कहीं इसका हश्र इंडोनेशिया के रिऊ द्वीप जैसा न हो जाए । जहां अत्यधिक खनन के चलते कोरल चट्टानों को जबदस्त नुकसान पहुंचा था और पूरा द्वीप ही विलुिप्त् के कगार पर पहुंच गया था । इस वजह से अंतत: सन् २००७ में अधिकारियों को रेती के निर्यात को प्रतिबंधित करना पड़ा था ।
कम्बोडिया के प्रधानमंत्री हुन सेन ने गत वर्ष रेती के निर्यात पर प्रतिबंध की घोषणा की थी परन्तु बाद में ग्लोबल विटनेस ने पाया कि वह प्रतिबंध नदियों के किनारों पर था समुद्री किनारों पर नहीं । इनका दावा है कि यह क्षेत्र पूरी तरह से भ्रष्टाचार में लिप्त् है और शासन वर्ग के नजदीकी रसूखदार लोग इसें लिप्त् हैं । रेती निकालने के लाइसेंस मेंग्रों और समुद्री घास के इलाकों में भी दे दिए गए हैं । स्थानीय समाचार पत्रों ने बताया है कि रेती निकालने का क्षेत्र बढ़ाने के फेर में स्थानीय लोगों को जबरन बेदखल किया जा रहा है । इस दौरान न केवलउन पर हमले हुए हैं बल्कि कईयों को जान भी गंवानी पड़ी । ग्लोबल विटनेस क्के जार्ज ब्राउन का कहना है कि अंतत: प्राकृतिक संसाधनों पर सर्वाधिक निर्भर समुदाय-मछुआरे और आदिवासी -खानाबदोश हो जाएंगे ।
ग्लोबल विटनेस का आरोप है कि देश के वन संसाधनों को ठिकाने लगाने के बाद कम्बाडिया का श्रेष्ठीवर्ग अब खनन कंपनियों के साथ सांठ गांठ कर रेती के अवैध व्यापार से जुड़ गया है । एक रिपोर्ट के अनुसार बिना किसी तरह का कर या रॉयल्टी चुकाए करोड़ों डॉलर के राष्ट्रीय धन की चोरी हो रही है । हमेशा की तरह कम्बोडिया के गरीब ही इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं जिनकी जीविका और तटीय पर्यावरण नष्ट हो रहा है ।
कम्बोडिया, मलेशिया और इंडोनेशिया को सबसे अधिक समस्याआें का सामना करना पड़ रहा हैं । जबकि अधिकांश लोग इसके लिए सिंगापुर को दोषी ठहरा रहे हैं जो कि नए रेसिंग ट्रेक, केसीनो और बंदरगाह विकसित करनेकी ललक में पर्यावरण प्रभावों की अनदेखी कर रेती के आयात में जुटा है । स्वयं सेवी संगठन के आरोपों के प्रत्युत्तर में सिंगापुर सरकार का कहना है कि सिंगापुर में रेत का आयात व्यावसायिक तौर पर किया जाता है और वह रेत के आयात के किसी भी अनुबंध से संबंधित नहीं हैं । जबकि ग्लोबल विटनेस का कहना है कि उसके पास इस बात के प्रमाण हैं कि कम्बोडिया से रेती खरीदने के मामले मे सिंगापुर के मंत्रालय लिप्त् है ।
पड़ोसी देशों द्वारा अपने पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए रेती निकालना प्रतिबंधित करने के बाद सिंगापुर को तस्करी से रेती पहुंचाने का धंधा अब बहुत फल फूल रहा है । ग्रीनपीस इंडोनेशिया का कहना है कि सिंगापुर को रेती निर्यात में तस्करों को कोई दिक्कत नहीं हैं क्योंकि ऐसा कभी कभार ही होता है कि नौसेना का सीमा शुल्क विभाग इनकी नावों को पकड़े । उनका कहना है कि प्रतिवर्ष ३० करोड़ क्यूबिक मीटर रेती अवैध रूप से निर्यात की जाती है । इस बीच ऐसी खबरें भी आ रही है कि सिंगापुर की नजरें अब बांग्लादेश पर टिकी हैं, जहां का समुद्र पूर्ण से ही कटाव से पीड़ित है, में रेत के खनन की संभावनाएं तलाश रहा है ।
ग्लोबल विटनेस ने सिंगापुर सरकार को कटघरे मे खड़े करते हुए कहा है कि सिंगापुर सरकार स्वयं को आंचलिक पर्यावरण नायक के रूप मेंप्रस्तुत करता है । और इस वर्ष जून में विश्व शहर सम्मेलन भी आयोजित कर चुका है । परंतु वास्तविकता यह है कि उसकी रेती की मांग से आसपास के देशों के पर्यावरण पर बहुत ही विपरित प्रभाव पड़ रहा है । संगठन का कहना है सिंगापुर को कच्च्े माल के टिकाऊ स्त्रोत हेतु निर्माण कंपनियों के लिए मार्गदर्शक सिद्धान्त बनाने चाहिए ।
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