शुक्रवार, 16 अक्तूबर 2015

आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी अभिनंदन ग्रंथ का लोकार्पण 
अरविन्द कुमार सिंह, राज्यसभा टीवी, नई दिल्ली 
पिछले दिनों नई दिल्ली के प्रवासी भवन में ऐतिहासिक द्विवेदी अभिनंदन ग्रंथ के लोकार्पण के मौके पर साहित्यिक हस्तियों और पत्रकारों के साथ राजधानी में साहित्यप्रेमियों का समागम हुआ । आधुनिक हिन्दी भाषा और साहित्य के निर्माता आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के सम्मान में १९३३ में प्रकाशित हिन्दी का पहला अभिनंदन ग्रंथ दुर्लभ दशा को प्राप्त्    था । ८३ सालों के बाद इस ग्रंथ को हुबहू पुर्नप्रकाशित करने का काम नेशनल बुक ट्रस्ट इंडिया ने किया है । ग्रंथ के लोकार्पण और विमर्श के मौके पर साहित्य अकादमी के अध्यक्ष और विख्यात लेखक डॉ. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने कहा कि आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी युग निर्माता थे । 
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन मेंप्रो. मैनेजर पांडे ने इस ग्रंथ की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि, यह भारतीय साहित्य का विश्वकोश है। उन्होंने आचार्यजी की अर्थशास्त्र में रूचि व संपत्ति शास्त्र के लेखन, उनकी महिला विमर्श और किसानों की समस्या पर लेखन की विस्तृत चर्चा की। इस ग्रंथ में प्रकाशित दुर्लभ चित्रों को अपनी चर्चा का विषय बनाते हुए गांधीवादी चिंतक अनुपम मिश्र ने इन चित्रों में निहित सामाजिक पक्ष पर प्रकाश डाला, उनकी प्रासंगिकता को रेखांकित किया और कहा कि सकारात्मक कार्य करने वाले जो भी केन्द्र हैं उनका विकेन्द्रीकरण जरूरी है । नीदरलैड से पधारी प्रो. पुष्पिता अवस्थी ने कहा कि हिन्दी सही मायने में उन घरों में ताकतवर है जहॉ पर भारतीय संस्कृतिबसती है । नेशनल बुक ट्रस्ट इंडिया की निदेशक डॉ. रीटा चौधरी ने कहा कि यह ग्रंथ हिन्दी का ही नहीं, बल्कि भारतीयता का ग्रंथ है और उस काल का भारत-दर्शन है । चर्चा को आगे बढ़ाते हुए प्रख्यात पत्रकार रामबहादुर राय ने इस ग्रंथ की प्रासंगिकता व इसके साहित्यिक महत्व को उल्लेखित करते हुए कहा कि यह ग्रंथ अपने आप में एक विश्व हिन्दी सम्मेलन है । 
कार्यक्रम के प्रारंभ में पत्रकार गौरव अवस्थी ने महावीर प्रसाद द्विवेदी से जुड़ी स्मृतियों को पावर प्वाइंट के माध्यम से प्रस्तुत किया । इस प्रेजेंटेशन से यह बात उभर कर सामने आयी कि किस तरह से रायबरेली का आम आदमी, मजदूर व किसान भी आचार्य द्विवेदी के प्रति स्नेह रखता हैै।

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