कार्बन उत्सर्जन में कमी लाएगा भारत
सम्पादकीय भारत ने विश्व संस्था संयुक्त राष्ट्र को भरोसा दिलाया है कि वह वर्ष २०३० तक कार्बन उत्सर्जन में ३३ से ३५ फीसदी तक कटौती लाएगा और अक्षय ऊर्जा उत्पादन क्षमता ४० फीसदी तक बढ़ाएगा । भारत ने यह लक्ष्य पेरिस में संभावित विश्व पर्यावरण संधि के लिए यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क क्रन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) के समक्ष रखा है ।
आगामी ३० नवम्बर से ११ दिसम्बर तक में पेरिस में होने वाले विश्व जलवायु सम्मेलन के पूर्व सभी देशों को उत्सर्जन में कमी के अपने-अपने लक्ष्य पेश करना है । इस सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए ऐतिहासिक संधि होने के आसार है ।
भारत ने इस संधि के लिए अपनी वचनबद्धता को लेकर अपने राष्ट्रीय लक्ष्य यूएनए के समक्ष रखे । इसे इंटेडेट नेशनली डिटरमाइंड कांट्रिब्यूशन (आईएनडीसी) नाम दिया गया है । इसमें कहा गया है कि भारत २०३० तक अपनी गैर जीवाश्म इंर्धन आधारित बिजली उत्पादन ४० फीसदी करने का लक्ष्य रखा है । इस दस्तावेज में भारत ने कहा है कि हम कार्बन उत्सर्जन की तीव्रता वर्ष २००५ के मुकाबले २०३० तक जीडीपी के ३३ से ३५ फीसदी तक लाएंगे । इसके लिए नेशनल एडाप्सन फंड भी बनाया गया है । ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन भी कोपनहेगन संधि के मुताबिक २०२० तक २० से २५ फीसदी तक किया जाएगा । दस्तावेज में कहा गया है कि भारत आर्थिक विकास और पर्यावरण में संतुलन कायम रखेगा । इसके लिए नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन बढ़ाने और कार्बन उत्सर्जन कम करते हुए विकास के पथ पर आगे बढ़ने पर जोर दिया जा रहा है । भारत का मौजूदा उत्सर्जन में कमी का लक्ष्य २०२० तक २० से २५ फीसदी तक लाने का था । इस तरह ताजा लक्ष्य में ७५ फीसदी की वृद्धि की गई है ।
कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए जो कदम उठाए जाएंगे उनमें सबसे अहम वनीकरण होगा । इसके अलावा अक्षय ऊर्जा का उपयोग बढ़ाया जाएगा । वर्ष २०३० तक २.५ से ३ अरब टन कार्बन डाईऑक्साइड (सीओ-२) सोखने की क्षमता विकसित की जाएगी ।
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