गुरुवार, 22 दिसंबर 2016

कविता
नर्मदा गीत 
महेश श्रीवास्तव 
मात नर्मदा के प्रति हमको अपना फर्ज निभाना है । 
करें प्रदूषण मुक्त, तटों पर चादर हरी उगाना है ।। 

शिव के तप से बहा स्वेद, हर प्राणी का कल्याण हुआ । 
भुक्ति, मुक्ति, आनन्द धार का दिव्य नर्मदा नाम हुआ ।। 
पापनाशिनी, पुण्यदायिनी, मोक्ष प्रदाता है मैया । 
सदियों से तन, मन, जीवन की तृिप्त् प्रदाता है मैया ।। 

हमको माँ के उपकारों का अब कुछ कर्जचुकाना हैै ।
जलधारा को शुद्ध, पुन: अमृत की तरह बनाना है ।। 
मात नर्मदा के प्रति ....

माँ पयस्विनी, प्यास बुझाती खेत सींचती है अपने । 
देती ज्योति, उर्जा देती, सच करती सुख के सपने ।। 
सोचे जिससे पाया सब कुछ, उसे दिया है क्या हमने । 
नगर-गांव का कचरा डाला, छीन लिये वन के गहने ।। 

जगंल से है नदी, नदी से हम, हमने यह जाना है । 
स्वच्छ नर्मदा करके अब अपना अस्तित्व बचाना है ।। 
मात नर्मदा के प्रति ....

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