सोमवार, 18 दिसंबर 2017

पर्यावरण समाचार
प्रदूषित पानी को निर्मल बना देता है पत्थर 
भारतीय वैज्ञानिकों ने जिस पत्थर को ढूंढ निकाला है, वह पारस से भी अनमोल है, जिसके स्पर्श से विषैला जल भी निर्मल पेयजल बन जाता है । 
चूंकि जल ही जीवन है और जीवन से अनमोल कुछ नहीं । लिहाजा गहराते जल संकट से जूझ रही दुनिया के लिए यह पत्थर संजीवनी का काम कर सकता है । नाम है स्कोलेसाइट । भारतीय प्रौघोगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी के वैज्ञानिकों ने स्कोलेसाइट पत्थर की इस अद्भूत विशेषता पर शोध किया है । जिसे विज्ञान एवं प्रौघोगिकी मंत्रालय ने यह प्रोजेक्ट सौंपा था । स्कोलेसाईट के पाउडर से जल शोधन की युक्ति पर पेटेंट का दावा आईआईटी ने कर दिया है ।
स्कोलेसाइट नाम का यह पत्थर महाराष्ट्र के अहमदनगर व पूणे के पहाड़ी इलाकों में पाया जाता है । वैज्ञानिकों ने पाया कि यह पानी में मिली छोटी-मोटी गंदगी ही साफ नहीं करता है बल्कि उसे आर्सेनिक, सीसे और पारे जैसी विषैली धातुआें से भी पूर्णत: मुक्त करने का विशेष गुण रखता है । भारत में लोग इसकी इन खूबियों से अनजान थे । अब तक आमतौर पर इस पत्थर का उपयोग सड़क निर्माण में होता रहा है । 
विज्ञान एवं प्रौघोगिकी मंत्रालय ने आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग को दो साल पहले एक प्रोजेक्ट सौंपा था, जिसके तहत उन्हें कोयला आधारित उद्योगांे के कारण पानी में बढ़ रही आर्सेनिक, सीसे व पारे की मात्रा का पता लगाने के लिए शोध करना था । 
विशेषज्ञों ने यह काम मध्यप्रदेश के सिंगरौली क्षेत्र में शुरू किया । यहां एनटीपीसी का २००० मेगावाट क्षमता का कोयला आधारित बिजली प्लांट है । शोध के बाद स्कोलेसाइट पत्थर के इस्तेमाल से आर्सेनिक, सीसे व पारे को पानी से समाप्त् कर पीने योग्य बनाया । 
वैज्ञानिकों के मुताबिक एक ग्राम स्कोलेसाईट पावडर से १०० मिलीलीटर पानी को आर्सेनिक, सीसे व पारे से मुक्त किया जा सकता है । स्कोलेसाईट पत्थर पर्वतीय चट्टानों के तापमान में परिवर्तन के कारण पैदा होता है । 

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