सोमवार, 18 दिसंबर 2017

प्रसंगवश
पैदल चलने वालोंके लिए राष्ट्रीय नीति कब बनेगी  
शहरी जीवन में पैदल चलना-फिरना लोगों का मौलिक अधिकार  है । यह स्वास्थ्यकर होने के साथ शहर को प्रदूषण मुक्त भी रखता है । लेकिन शहरी निकायों का खराब बुनियादी ढांचा लोगों को हतोत्साहित करता है । पैदल चलने के लिए जिस फुटपाथ व गलियों की जरूरत होती है, उसके बारे में कोई राष्ट्रीय नीति नहीं है । हाल में शहरी विकास मंत्रालय ने मॉडल कानून बनाकर शहरी निकायों को भेजा है लेकिन इसे लागू करने या न करने की जिम्मेदारी नगर प्रशासन की है । 
जिन शहरों में फुटपाथ है, वहां इनका डिजाइन गलत है । इस समस्या से निपटने के लिए केन्द्र सरकार ने स्मार्ट सिटी मिशन शुरू किया है । इससे एक सौ शहरों को स्मार्ट सिटी मिशन शुरू किया है । इसमें एक सौ शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने की योजना पर काम चल रहा है । इसकी देखादेखी बाकी शहरों में भी इसकी शुरूआत हो सकती है । इसमें विश्वस्तरीय कंसल्टेंट कंपनियां अपनी सेंवाएं दे रही हैं । सभी का जोर अंतरराष्ट्रीय मानक के फुटपाथ बनाने पर है, ताकि लोग पैदल चलने में ज्यादा से ज्यादा सहूलियत महसूस करें । राष्ट्रीय स्तर पर फुटपाथ को लेकर कोई कार्य योजना नहीं नहीं होने से मुश्किलें बढ़ी हैं । इस काम को स्थानीय स्तर पर नगर निकायों के जिम्मे छोड़ दिया गया है । लेकिन धनाभाव और इच्छा शक्ति के अभाव में इस अति महत्वपूर्ण विषय पर कोई ठोस कार्यवाही हो पायी है । हालांकि देश के इक्का-दुक्का शहरोंने इस दिशा में पहल की है । लेकिन उनका काम अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरा नहीं उतरता । स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के जरिए सरकार ने पहली बार इस दिशा में काम करने की मंशा जताई है । लेकिन इसके नतीजे आने मेंअभी वक्त लगेगा । शहरों में ट्रैफिक के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए जन भागीदारी सबसे अधिक महत्वपूर्ण है । शहरीकरण के जानकार अनिल चौहान कहते है कि केवल फुटपाथ भर बना देने से सफलता नहीं मिलेगी । बल्कि यह सुनिश्चित करना होगा कि इन फुटपाथों पर अतिक्रमण न होने पाए । साथ ही स्ट्रीट वेंडर्स को बसाने के इंतजाम भी करने होगें । 

कोई टिप्पणी नहीं: