सोमवार, 18 दिसंबर 2017

जनजीवन
घटता हरित आवरण और घुटती सांसें
कुशल मिश्रा

दुनिया में हरित चादर का आवरण लगातार घटता जा रहा है । भले ही सरकारें पर्यावरण की रक्षा करने के लिए नई-नई परियोजनाएं लाती हैंऔर करोड़ों पेड़ लगाने के  बाद उनका देखभाल करना भूल जाती है, इससे इतर हैरान करने वाली बात यह है कि भारत में अब प्रति व्यक्ति  सिर्फ २८ पेड़ बचे हैंऔर इनकी संख्या साल दर साल कम होती जा रही है । अभी भी नहीं चेते तो मनुष्य का अस्तित्व खतरे में होगा ।
हाल में जारी हुई नेचर जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में एक व्यक्ति  के लिए ४२२ पेड़ मौजूद हैं । दूसरे देशों की बात करें तो पेड़ों की संख्या के मामले में रूस सबसे आगे हैं। रूस में करीब ६४१ अरब पेड़ हैं, जो किसी भी देश से ज्यादा हैं। इसके बाद ३१८ अरब पेड़ों की संख्या के साथ कनाडा दूसरे स्थान पर, ३०१ अरब पेड़ों की संख्या के साथ ब्राजील तीसरे स्थान पर और २२८ अरब पेड़ों की संख्या के साथ अमेरिका चौथे स्थान पर है ।
और देशों की तुलना के वैश्विक अनुपात के मुताबिक, भारत में सिर्फ ३५ अरब पेड़ हैंयानी एक व्यक्ति  के लिए सिर्फ २८ पेड़ । गौर करने वाली बात यह है कि हम दुनियाभर में हर साल करीब १५.३ अरब पेड़ खो रहे हैं, यानी कि प्रति व्यक्ति  के अनुसार दो पेड़ से भी ज्यादा का नुकसान हर साल हो रहा है । दूसरी ओर की तस्वीर यह है कि हम बहुत कम संख्या में पौधे लगा रहे हैं। नेचर जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में पांच अरब पेड़ हर साल लगाए जा रहे हैंऔर जबकि हम हर साल १० अरब पेड़ का नुकसान उठा रहे हैं। 
मानव सभ्यता की शुरुआत से लेकर अब तक ३.०४ लाख करोड़ पेड़ काटे जा चुके  हैं । यानी कि बड़ी संख्या में आज भी पेड़ जा रहे हैं। नेचर जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, मानव सभ्यता की शुरुआत से मौजूद पेड़ों में अब तक ४६ प्रतिशत तक कमी आ चुकी है। सिर्फ इतना ही नही, दुनियाभर में हर साल १० अरब पेड़ काटे जा रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में पेड़ों की संख्या में सबसे ज्यादा ४५.७ प्रतिशत उष्णकटिबंधीय और उप उष्णकटिबंधीय पेड़ हैं, वहीं बोरियल पेड़ों की संख्या २४.३ प्रतिशत है, जबकि शीतोष्ण पेड़ों की संख्या २० और अन्य पेड़ों की संख्या १० प्रतिशत है ।
देश में पेड़ों की तेजी से गिरती संख्या पर उत्तरप्रदेश के वन विभाग के सचिव एसके पाण्डेय कहते हैं,`हमारा हमेशा यह प्रयास है कि पेडों की संख्या बढ़ें, मगर फैले भ्रष्टाचार की वजह से पेड़ों की चोरी और कटने की घटनाएं सामने आती रहती हैं । कार्रवाई समय-समय पर होती रहती हैं, मगर इसके बावजूद बड़ी संख्या में पेड़ काटे जा रहे हैं ।` वह आगे कहते हैं, `पेड़ों को बचाने के लिए हर व्यक्ति  को हमारी मदद करनी होगी, हम अकेले कुछ  नहीं कर सकते हैं । जरुरत है कि न सिर्फ पेड़ों को लगाएं, बल्कि उसकी देखभाल भी करें । इसके अलावा कहीं भी पेड़ कटने या चोरी होने की घटनाओं पर विभाग को सूचित    करें ताकि हम तुरंत एक्शन ले    सकें ।`
वहीं, अब तक अलग-अलग क्षेत्रों में हजारों पेड़-पौधे लगा चुके पेड़ वाले बाबा के नाम से मशहूर मनीष तिवारी कहते हैं,`मैं यह हमेशा से कहता हूं कि पेड़-पौधे ही जीवन हैं,किसी की भी याद में लगाई गई मूर्तियां ऑक्सीजन नहीं देती, बल्कि पेड़ ऑक्सीजन देते हैं। इसलिए हमें पेड़-पौधों के महत्व को समझना चाहिए और हर व्यक्ति  ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए ।`
भारतीय वन सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के समग्र वन क्षेत्रों में एक चौथाई उत्तर-पूर्व के राज्यों में है और पिछले मूल्यांकन की तुलना में उत्तर-पूर्व के राज्यों में ६२८ वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र में कमी आई है । देश में पेड़ों तथा वनों का समग्र क्षेत्रफल ७९४,२४५ वर्ग किलोमीटर (७९.४२ मिलियन हेक्टेयर) है जो देश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का २४.१६ प्रतिशत है ।
प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल, द लांसेट में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार, भारत में प्रदूषण से हुई मौतों के मामले में साल २०१५ में भारत १८८ देशों की सूची में पांचवे स्थान पर रहा है । दुनियाभर में हुई करीब ९० लाख मौतों में से २८ प्रतिशत मौतें अकेले भारत में हुई हैं। यानी यह आंकड़ा २५ लाख से ज्यादा है । ये मौतें वायु, जल और अन्य प्रदूषण के कारण हुई हैं। 
चिकित्सीय पत्रिका 'द लांसेट` के अनुसार, हर साल वायु प्रदूषण के कारण १० लाख से ज्यादा भारतीय मारे जाते हैं। अध्ययन के अनुसार, उत्तर भारत में छाया स्मॉग भारी नुकसान कर रहा है और हर मिनट भारत में दो जिंदगियां वायु प्रदूषण के कारण चली जाती हैं । ऐसे में वायु प्रदूषण सभी प्रदूषणों में सबसे घातक प्रदूषण बनकर उभरा    है ।
आईएमए के एक अध्ययन के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले लोगों की जिंदगी खतरनाक वायु प्रदूषण की वजह से लगभग ६ साल कम हो चुकी है। दिल्ली और आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण अब तक के सर्वोच्च् स्तर पर है। दूसरी ओर, एनसीआर में डब्लूएचओ के मानकों को लागू किया जा सका तो लोग ९ साल तक अधिक जीवित रहेंगे ।
पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने के लिए पिछले साल उत्तरप्रदेश में २४ घंटे में पांच करोड़ पौधे लगाकर रिकॉर्ड बनाया गया था । इन पौधों की निगरानी करने के लिए सेटेलाइट सिस्टम का भी प्रयोग किया जाना था, लेकिन सेटेलाइट सिस्टम से पौधों की निगरानी के दावे हवा-हवाई साबित हुए । अधिकारियों का दावा था कि इन पौधों का संरक्षण किया जाएगा, मगर कई लाख पौधे देखरेख के अभाव में खराब हो गए थे ।

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