मंगलवार, 17 जुलाई 2018

पर्यावरण परिक्रमा
समुद्र में कचरे के लिए १० बड़ी नदियां जिम्मेदार 
दुनियाभर के वैज्ञानिक इस सवाल का जवाब खोजने मेंलगे है कि समंदरों में प्लास्टिक का कचरा कैसे बढ़ रहा है । इसका जवाब हाल में हुए एक अध्ययन से मिल गया है । पता चला है कि दुनियाभर के समंदरों में मिल रहे कचरे के लिए १० नदियां ही सबसे ज्यादा जिम्मेदार है । इनमें चीन की यांग्त्जे नदी पहले नंबर पर है । यांग्त्जे चीन की सबसे लंबी नदी है । दूसरे पायदान पर भारत की गंगा नदी है । 
समंदरों में जो प्लास्टिक कचरा मिल रहा है, उसका करीब ९०% इन १० नदियों से आ  रहा  है । बड़ी बात तो ये है कि इन १० में से ८ नदियां तो एशिया की ही हैं । यांग्त्जे और गंगा के अलावा इस लिस्ट में सिंधु (तिब्बत और भारत), येलो (चीन), पर्ल (चीन), एमर (रूस और चीन), मिकांग (चीन) और दो अफ्रीका की नाइल और नाइजर नदियां शिााम्ल हैं । हर साल करीब ८० लाख टन कचरा  समदंरों में मिल रहा   है । 
रिसर्चर डॉ. क्रिश्चियन स्कीमिट ने बताया कि- `ज्यादातर कचरा नदी के किनारों की वजह से होता है, जिसका निपटारा नहीं हो पाता है और वह बहता हुआ समदंरों में आ जाता है । ये भी देखने में आया कि बड़ी नदियों के प्रति घन मीटर पानी में जितना कचरा  रहता है, उतना छोटी नदियों में नहीं रहता है ।' एशिया की सबसे लंबी और दुनिया में इकोलॉजी के लिहाज से महत्वपूर्ण नदियों में से एक यांग्त्जे के आसपास चीन की  एक तिहाई आबादी यानी ५० करोड़ से ज्यादा लोग बसते हैं । 
यही समंदर में सबसे ज्यादा कचरा ले जा रही है। चीन ने रिसाइकलेबल वेस्ट का पहले खूब आयात किया, पर बाद में सरकारी नीतियों के कारण यह रूक गया । विदेशी कचरे पर रोक में सबसे पहले धातु के कचरे पर रोक लगाई गई है । इस वर्ष चीन ने ४६ शहरोंमें कचरे को काबु करने का निर्देश दिया है । इसके कारण अगले दो साल में ३५ प्रतिशत कचरा रिसाइकल हो चुका होगा । 
संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण कार्यक्रम के प्रमुख एरिक सीलहेम का कहना  है - चीन में दुनिया का सबसे ज्यादा प्लास्टिक कचरा होता है । प्लास्टिक कचरा ले जाने में गंगा दुनिया में दूसरे स्थान पर है, जबकि सिंधु नदी छठे स्थान पर आती है । कुछ साल पहले सरकार ने गंगा की सफाई के लिए नमामि गंगे प्रोजेक्ट शुरू किया था, पर हाल ही में एनजीटी ने दो टूक कहा है कि गंगा की एक भी बूंद साफ नहीं हो सकी है । ट्रिब्यूनल ने दिल्ली में हाल ही में डिस्पोसेबल प्लास्टिक पर भी रोक  लगा  दी  है । 
पर्यावरण नुकसान पहुंचाया अदालत ने लगवाए ५० हजार पौधे 
हरियाणा में यमुनानगर के कलेसर जंगल में पेड़ काटने पर अब्दुल के खिलाफ वन विभाग ने केस दर्ज किया । पर्यावरण अदालत से अब्दुल को इस शर्त पर जमानत मिली कि वह ५१ पौधे लगाकर छह महीने तक उनकी देखरेख करेगा । ऐसे ही अम्बाला में स्क्रीनिंग फैक्टरी संचालक रामसिंह पर वायु प्रदूषण फैलाने के दोषी पाए गए, उन्हें भी ५१ पौधे लगाने पड़े । 
कुरूक्षेत्र स्थित विशेष पर्यावरण अदालत के विशेष पीठासीन अधिकारी अनिल कौशिक दो साल  में २१० मामलों में ऐसी अनूठी अतिरिक्त सजा दे चुके है । फॉरेस्ट और वाइल्ड लाइफ एक्ट में जुर्माने या कैद की सजा का प्रावधान है, लेकिन पर्यावरण की कीमत काअहसास कराने के लिए जज पौधारोपण की अतिरिक्त सजा दे रहे है । हरियाणा के कुरूक्षेत्र व फरीदाबाद मेंपर्यावरण कोर्ट है । 
कुरूक्षेत्र कोर्ट के अन्तर्गत १५ जिले है । वन, वन्य जीव और प्रदूषण से जुड़े केस यहां सुने जाते हैं । दो साल पहले विशेष पीठासीन अधिकारी ने वन अधिनियम में एक दोषी को हर्जाने के साथ ही पौधे लगाने की सजा दी । इसके बाद तय किया कि हर दोषी से खासकर फॉरेस्ट एक्ट के मामलों में सजा के रूप में पौधें भी जरूर लगवाएंगे ।
पिछले साल से जमानत में भी कम से कम ५१ पौधे लगाकर ६ माह निगरानी करने की शर्त जोड़ दी । यह इंडियन फॉरेस्ट एक्ट १९२७, इंडियन वाइल्ड लाइफ एक्ट और वाटर पॉल्यूशन एवं एयर पॉल्यूशन एक्ट १९८० में दी गई सजा के अतिरिक्त है । कुछ आरोपी सहर्ष मानते है, तो कुछ मजबूरी में पौधरोपण करते हैं । 
जमानती व दोषी को पौधरोपण करने के बाद बाकायदा कोर्ट में प्लांटेशन रिपोर्ट देनी पड़ती है । पौधे लगाने के बाद गांव के मुखिया या शहर मेंवार्ड पार्षद की वेरीफिकेशन रिपोर्ट कोर्ट व वन विभाग में जमा करानी होती है । पर्यावरण अदालत संबंधित एरिया के डीएफओ से क्रॉस चेक कराती है । रेंज या ब्लॉक अफसर क्रॉस चेक कर अलग से रिपोर्ट जमा करते है । 
विशेष पीठासीन अधिकारी अनिल कौशिक की सोच है कि सिर्फ हर्जाने से क्षति का अहसास संबंधित व्यक्ति को नहीं होगा । जब वह पौधे लगाएगा तो इसका महत्व भी समझेगा । उसे अपने खर्च पर नर्सरी से पौधे लाने होते है । गड्डे कराने से लेकर पौधो को सींचने का जिम्मा भी उसका होता है । खास बात यह है कि अब तक एक भी मामले में नाफरमानी नहीं हुई है । 
खाद्य सुरक्षा कानून में कड़े हो जाएंगे नियम
सरकार खाने-पीने के समान में मिलावट करने वालों पर सख्ती से निपटने की तैयारी कर रही है । एसएसएसआई यानी फूड रेगुलेटर, भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकारण ने खाद्य पदार्थोमें मिलावट करने वालों को उम्रकैद तक सजा देने की सिफारिश की है । 
सूत्रों के अनुसार तैयार प्रस्ताव में मिलावट करने वालों पर ७ साल से लेकर उम्र कैद तक की सजा और १० लाख रूपए तक का जुर्माना देने की सिफारिश की गई है । 
अब खाद्य सुरक्षा कानून के दायरे में एक्सपोटर्स भी आएगे । फिलहाल एक्सपोर्टस पर खाद्य सुरक्षा कानून लागू नहीं है । खाने का सामान इंपोर्ट करने वालों की जिम्मेदारी तय होगी, उपभोक्ता की परिभाषा में भी बदलाव होगा और पशुआें के खाद्य पदार्थ भी कानून के दायरे में आएंगे । 
सूत्रों के मुताबिक सरकार खाद्य सुरक्षा कानून में बदलाव कर इस प्रस्ताव को लागू करने की तैयारी में है । इस कानून के जल्द आने की संभावना जताई जा रही है । फूड सेफ्टी एंड स्टैंडड्र्स अर्थोरिटी ऑफ इंडिया ने मसौदे पर जनता और संबंधित पक्षों से राय मांगी है ।  फिलहाल खान-पान की चीजों में मिलावट से मौते होने पर ही उम्रकैद का प्रावधान है । 
अभी सख्त कानून न होने से देश के हर इलाके में खाद्य पदार्थो और पेयों में मिलावट की खबरें आम है । एफएसएसएआई ने खुद अपने सर्वे के जरिए इस बात की तस्दीक की है । मिलावट के मामले, आम तौर पर त्यौहारों के मौके पर ज्यादा आते हैं, लेकिन सूत्रों का कहना है कि ऐसा देश के हर इलाके में हर रोज होता है । 
फूड सेफ्टी को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने एक और अहम कदम उठाया  है । इसके तहत अब खाद्य पदार्थोकी जांच करने वाली लैब्स को पांच दिन के अंदर अपनी रिपोर्ट देना होगी । 
अगर खाद्य या पेय पदार्थो के किसी केमिकल या उसमें जीवाणुआें की जांच करनी हो तो अधिकतम          १० दिन में रिपोर्ट देनी होगी । एफएसएसएआई के इस आदेश से फूड सेफ्टी को बरकरार रखने में बड़ी मदद मिलने के आसार  है । देश में खाद्य पदार्थो में बढ़ रही मिलावट को रोकने के लिए इस प्रकार अनेक कदम उठाने  की आवश्यकता है ।  
महाराष्ट्र में प्लास्टिक पर लगा बैन 
महाराष्ट्र में प्लास्टिक के इस्तेमाल पर पूरी तरह से रोक लग गई  है । अब किसी भी प्रकार के प्लास्टिक के इस्तेमाल, भण्डारण या उत्पादन करते पाए जाने पर जुर्माना ठोका जाएगा । 
मुम्बई समेत राज्यभर में इसके लिए छापेमारी शुरू की जाएगी । इससे पहले, प्लास्टिक के पर्याप्त् विकल्प न होने के चलते पैकेजिंग समेत कुछ अन्य उत्पादों में राहत देने की पुरजोर मांग व्यापारियों की ओर से की जा रही थी । राहत की अवधि समाप्त् होने के बाद यह उम्मीद टूट गई । छोटे व्यापारियों ने मैन्युफैक्चरिंग स्तर पर बड़ी कपनियों की तर्ज पर छूट न मिलने को अन्याय बताया है । 
बॉम्बे हाईकोर्ट ने प्लास्टिक बंदी में किसी भी प्रकार की राहत नहीं  दी । मामले की अगली सुनवाई २० जुलाई को होगी । महाराष्ट्र सरकार ने अदालत को बताया कि उसने सभी स्थानीय प्राधिकारियों से प्लास्टिक की प्रतिबंधित वस्तुआें और प्लास्टिक कचरे के संग्रहण, ढुलाई और निपटारे की व्यवस्था करने के लिए एक तंत्र बनाने को कहा है । 
सरकार ने २३ जुलाई को एक बार इस्तेमाल होने वाली थैलियों, चम्मच, प्लेट, थर्माकोल वस्तुआें समेत प्लास्टिक की सभी सामग्रियों के निर्माण, इस्तेमाल, बिक्री, वितरण और भंडारण पर प्रतिबंध लगाने के लिए अधिसूचना जारी की थी । इस अधिसूचना को मनमाना प्रतिबंध, कानूनन गलत और आजीविका के मौलिक अधिकार का उल्लघंन करने वाला बताकर चुनौती दी गई थी । अदालत ने गत अप्रैल में निकाली गई अधिूसचना पर प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया था । 
देश में पहले बार डीएनए टेस्ट से पकड़ा भ्रष्टाचार 
भ्रष्टाचार की जांच के लिए डीएनए टेस्ट । आपको सुनने में शायद यह अजीब लगे, मगर है हकीकत । देश में ऐसा पहली बार हुआ है । मामला गुजरात का है । जहां भ्रष्टाचार के दो मामलों में डीएनए टेस्ट कराए गए और रोचक बात यह है कि उनके परिणाम सकारात्मक आए । भ्रष्टाचार निरोधी ब्यूरो (एसीबी) ने एक पशु डॉक्टर और एक कृषि वैज्ञानिक के खिलाफ मामले दर्ज कराए हैं । दरअसल, इन सरकारी अधिकारियों ने उस वक्त २००० के नोट निगल लिए जब एसीबी ने उनके यहां छापे मारे और उन्हें रंगे हाथों पकड़ा । मामले को पुख्ता बनाने के लिए एसीबी ने दोनों आरोपियों के लार के नमूने ले लिए और उनकी डीएनए जांच करा  डाली ।  

कोई टिप्पणी नहीं: