प्रकृति मित्र दिवस
देश के लिये जीना सीखना है
(हमारे विशेष संवाददाता द्वारा)
जीवन में सादगी, संयम एवं ईमानदारी के गुणों का विकास होगा तभी समाज में स्थायी सुख और शांति आएगी । गांधीजी ने देश के लिए मरना सिखाया था । आज हमें देश के लिये जीना सीखना है ।
उक्त विचार प्रख्यात गांधीवादी चिंतक डॉ. एसएन सुब्बराव ने युवाआें के लिए समर्पित राष्ट्रीय संस्था युवाम द्वारा आयोजित डॉ. खुशालसिंह पुरोहित के नागरिक अभिनंदन समारोह की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किए ।
श्री सुब्बराव ने कहा कि डॉ. पुरोहित द्वारा पर्यावरण जागरूकता के क्षेत्र में खासकर लोक चेतना के लिए ३२ वर्षो से पर्यावरण डाइजेस्ट पत्रिका का सतत् प्रकाशन सराहनीय कार्य है । पर्यावरण से अभिप्रेरित उनके द्वारा उठाया गया कदम उनकी आत्म शक्ति को प्रतिबिंब करता है । महात्मा गांधी ने कहा था कि हमारे पास जो आत्मशक्ति है, उस शक्ति को हमें पहचानना चाहिए तो जीवन में सफल होगे । डॉ. पुरोहित ने भी इसी दिशा में अपना जीवन समर्पित किया है ।
रतलाम के विधि महाविद्यालय सभागृह में आयोजित समारोह में शहर की २० से अधिक सामाजिक और रचनात्मक संस्थाआें ने डॉ. पुरोहित का शॉल श्रीफल भेंटकर अभिनंदन किया । इनमें जनशक्ति, म.प्र. आंचलिक पत्रकार संघ, सर्वोदय प्रेस सर्विस, सेवा सुरभि, युवाम मित्र मण्डल, महावीर इन्टरनेशनल, जन अभियान परिषद्, हम लोग, इंटक जिला कॉसिल, मुस्लिम नौजावन सभा, यूथ होस्टल एसोसिएशन ऑफ इण्डिया, अग्रवाल युवा महासभा और जैन युवा मंच आदि प्रमुख है । इस मौके पर उनकी सहधर्मिणी श्रीमती अलका पुरोहित का भी अभिनंदन किया गया ।
अपने सम्मान के प्रतिउत्तर में डॉ. खुशालसिंह पुरोहित ने सबके प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि सम्मान व्यक्ति का नहीं विचारों एवं कार्यो का होता है । सम्मान के बाद मेरी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है और मैं जिम्मेदारी को महसूस करते हुए ज्यादा प्रतिबद्धता के साथ पर्यावरण चेतना के प्रयासों में संलग्न रहूंगा । उन्होंने कहा कि मेरे जीवन कर्म पर गांधी, विनोबा के विचारों का गहरा प्रभाव रहा है । इस विचार की अभिप्रेरणा में डॉ. शिवमंगलसिंह सुमन, सप्रेस के महेन्द्र भाई और सुन्दरलाल बहुगुणा का विशेष योगदान रहा है जिनकी वजह से मैं जीवन के इस मुकाम पर पहुंच सका हॅू ।
म.प्र. पूर्व पुलिस महानिदेशक एसके राउत ने अपने मुख्य अतिथि उदबोधन में पर्यावरण डाइजेस्ट पत्रिका के शुरूआती दिनों की चर्चा की और कहा कि पर्यावरण संरक्षण में जागरूकता के लिए पत्रिका की भूमिका महत्वपूर्ण रही । डॉ. पुरोहित का सातत्यपूर्ण कार्य समाज में विशिष्ठ काम के रूप में जाना जाने लगा है । विशेष अतिथि पुलिस के पूर्व महानिरीक्षक वेदप्रकाश शर्मा ने कहा कि डॉ. पुरोहित अपने क्षेत्र में सराहनीय कार्य कर रहे है । उनकी लगन, निष्ठा और समर्पण का प्रतिफल है कि वे आज इस मुकाम पर पहुंचे है ।
प्रारंभ में आयोजक संस्था युवाम के संस्थापक पारस सकलेचा ने अपने विद्यार्थीजीवन के साथी रहे डॉ. खुशालसिंह पुरोहित की कार्य शैली, सिद्धांतों की प्रतिबद्धता और पर्यावरण प्रेम की चर्चा करते हुए उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला तथा कहा कि पुरोहित के सम्मान से युवाम का मान बढ़ा है, रतलाम का मान बढ़ा है । उन्होंने डॉ. पुरोहित के जन्म दिन को प्रकृति मित्र दिवस के रूप मनाए जाने की घोषणा कि और डॉ. पुरोहित के पर्यावरण प्रेम की विस्तार से चर्चा की ।
समारोह को अभ्यास मण्डल इन्दौर के संयोजक मुकुंद कुलकर्णी और नेशनल मीडिया फाउण्डेशन के अध्यक्ष राजेन्द्र जैन ने भी सम्बोधित किया ।
समारोह समिति के सचिव नीलू अग्रवाल ने अतिथियों एवं उपस्थितों के प्रति आभार व्यक्त किया । कार्यक्रम का प्रभावी संचालन अब्दुल सलाम खोकर द्वारा किया गया । समारोह में रतलाम के गणमान्य नागरिकों सामाजिक संस्थाआें के प्रतिनिधियों के साथ ही इन्दौर, उज्जैन और भोपाल आदि शहरों से आए पर्यावरण प्रेमी तथा आमजन बड़ी संख्या में उपस्थित थे ।
ज्ञातव्य है कि डॉ. पुरोहित का जन्मदिन प्रकृति मित्र दिवस के रूप में मनाया जाने की शुरूआत की है । प्रकृति हमारी मित्र है । हमारा अतीत प्रकृति पर निर्भर रहा, हमारा वर्तमान प्रकृति पर निर्भर है और हमारा भविष्य भी प्रकृति से ही निर्मित होगा । प्रकृति हमारे जीवन और जीवन मूल्यों से जुड़ी हुई है । जब प्रकृति हमारा अभिन्न अंग है तो हम इस प्रकृति की चिंता क्यों न करें ?
दुर्भाग्यवश जिस प्रकृतिका हमें पोषण करना था उसका हमने शोषण किया । जिस प्रकृति को हमें पल्लवित करना था हमने उसकी उपेक्षा की । परिणाम हमारे सामने हैं । निरन्तर दोहित होती प्रकृति से हमारा वातावरण अशुद्ध और अक्षम होता जा रहा है । ऐसे समय में प्रकृति से मित्रता बढ़ाना आवश्यक है । प्रकृति मित्र दिवस की परिकल्पना उस विचार की परिकल्पना है जिसमें हमारे जंगल, जमीन, जानवर, जल और सभी जन शामिल है । इन सभी की रक्षा और संवर्द्धन शामिल है ।
विगत ४ दशकों से पर्यावरण को लेकर सक्रिय और पर्यावरण से स्वयं के जीवन को एकाकार करने वाले सुप्रसिद्ध पर्यावरणविद और विगत ३२ वर्षो से निरन्तर प्रकाशित हो रही पत्रिका ``पर्यावरण डाइजेस्ट'' के संपादक डॉक्टर खुशालसिंह पुरोहित के जन्म दिवस १० जून को प्रकृति मित्र दिवस के रूप में मनाने का मित्र जनों ने निर्णय लिया तो उसके पीछे जन्म दिवस आयोजन महत्वपूर्ण न होकर प्रकृति की रक्षा के विचार की महत्ता है ।
इस दिन प्रकृति मित्र दिवस के रूप में होने वाले आयोजन प्रकृति के प्रति समर्पित थे । यह दिन पर्यावरण संरक्षण और संवर्द्धन के लिए समर्पित रहा । पर्यावरण मित्र और आमजन सभी ने मिलकर प्रकृति मित्र दिवस को सार्थक किया ।
अन्य स्थानों पर पर्यावरण प्रेमी मित्रगण और स्थानीय संस्थाआें, प्रकृति मित्र दिवस के अवसर पर जल स्त्रोतों की सफाई, पक्षियों के लिए दाना-पानी की व्यवस्था, कागज/कपड़े की थैलियों का वितरण और पौधारोपण के कार्यक्रम किये जिनमें जन सामान्य में प्रकृतिके प्रति संवेदनशीलता जगाने के कम को आगे बढ़ाया ।
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