सोमवार, 21 अक्तूबर 2019

पर्यावरण परिक्रमा
भारत में 1;74 करोड पयर्टक आए सालभर में 
दुनिया हर साल २७ सितबंर को वर्ल्ड टूरिज्म डे मनाती है । यूनाइटेड नेशंस की वर्ल्ड टूरिज्म ऑर्गनाइजेशन (यूएनडब्लयूटीओ) इसका नेतृत्व करती है । मकसद लोगों को पर्यटन का महत्व समझाना होता है । 
इस साल के वर्ल्ड टूरिज्म डे का फोकस - स्किल्स, एजुकेशन और जॉब्स पर है । २०१८ में दुनियाभर में १४०.१ करोड़ पर्यटकों ने विदेश यात्रा की, जिनमें सबसे ज्यादा टूरिस्ट फ्रांस की यात्रा करने वाले थे । इसके बादा स्पेश, अमेरिका और चीन का नंबर आता है । साल २०१८में तुर्की और वियतनाम ने पर्यटन क्रमश: २१.७%, १९.९ % की बढ़ोतरी दर्ज की । जबकि भारत ने १२.१%  की वृद्धि दर्ज की । 
हमारे देश में वर्ष २०१८ में १.७४ करोड़ पर्यटक आयें । २०१८ में टूरिज्म सेक्टर का भारत जीडीपी में ९.२% योगदान था कुल रोजगार का ८.१%  इसी सेक्टर से रहा । उम्र के हिसाब से समझने की कोशिश करें तो २५ से ३४ साल के आयु वर्ग के लोग सबसे ज्यादा ऑनलाइन ट्रैवलिंग मार्केट का इस्तेमाल कर रहे हैं । अभी सीनियर सिटीजन में ये ट्रेंड कम देखने को मिल रहा है । 
ट्रैवल एंड टूरिज्म ड्राइविंग वुमेन सक्सेस की रिपोर्ट के मुताबिक टूर एंड ट्रैवल सेक्टर में महिलाआें की हिस्सेदारी रूस में   रही । यहां की इकोनॉमी में महिलाआें की हिस्सेदारी ४५%  से ज्यादा रही , जबकि टूर एंड ट्रैवल सेफ्टी में महिलाआें की हिस्सेदारी ५५%  रही । वहीं, भारत में इस सेक्टर में मलिाआें की हिस्सेदारी १५% रही । 
तेन्दुआें की संख्या में बाजी मारेगा मध्यप्रदेश
मध्यप्रदेश में बाघ ही नहीं, तेंदुए भी तेजी से बढ़ रहे हैं । वर्ष २०१४ में जहां ३० जिलों में तेंदुआें की उपस्थिति दर्ज की गई थी, वहीं पिछले साल करवाई गई बाघों की गणना में प्रदेश के ४६ जिलों में तेंदुआें की उपस्थिति के प्रमाण मिले हैं । इस हिसाब से प्रदेश में पिछले चार साल में ४५० से ज्यादा तेंदुए बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है । यानी तेंदुआें की संख्या के मामले में इस बार भी मध्य प्रदेश पहले स्थान पर रहेगा । 
पांच साल पहले प्रदेश में देश में सबसे ज्यादा १८५४ तेंदुए थे, जबकि तेंदुआें की संख्या के मामले में कर्नाटक दूसरे नंबर पर था । वहां ११२९ तेंदुआें की गिनती हुई थी । 
भारतीय वन्यजीव संस्थान इेहरादून ने दिसंबर २०१७ से मार्च २०१८ तक देश भर में बाघों की गिनती कराई है । इस दौरान तेंदुए भी गिने गए हैं । केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय इनमें से बाघों के आंकड़े घोषित कर चुका है और तेंदुआें का आंकड़ा अगले माह आने की उम्मीद जताई जा रही है । यह आंकड़ा भी प्रदेश्र को देश का सिरमौर बनाए रख सकता है । जानकार बताते है कि स्टेट फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (एसएफआर-आई) जबलपुर में आंकड़ो के अध्ययन के दौरान यह संकेत मिले हैं कि प्रदेश में तेंदुआें की संख्या में ४०० से ४५० की वृद्धि हो सकती है । इसका प्रमाण उन जिलों में भी तेंदुए दिखाई देना है, जहां अब तक नहीं दिखाई देते थे । 
तेंदुआें को लेकर दुखद पहलू यह है कि प्रदेश में जिस तेजी से तेंदुआें की संख्या बढ़ रही है, उससे भी ज्यादा तेजी से मौत हो रही है । शिकार, सड़क-रेल दुर्घटना और कुआेंमें गिरने के चलते हर साल ४५ से ज्यादा तेंदुआें की मौत हो जाती है । राजधानी के नजदीक स्थित रातापानी अभयारण्य में तेंदुआें की संख्या १०० से ज्यादा बताई जा रही है ं और यहां तेंदुआें की मौत का ग्राफ भी ज्यादा है । पिछले तीन साल में यहां आधा दर्जन से ज्यादा तेंदुआें की मौत हुई है । इनमें से करीब चार तेंदुए ट्रेन की चपेट में आकर मरे हैं । वहीं तेंदुआें की खाल बेचने के मामले सामने आ चुके हैं ।
देश में २५अमीरों के पास जीडीपी की १० प्रतिशत संपत्ति
हमारे देश के शीर्ष २५ अमीरों की कुल संपत्ति का मूल्य सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के १० प्रतिशत के बराबर है । रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी लगातार आठवेंसाल अमीर भारतीयों की सूची में शीर्ष पर रहे । उनकी कुल संपत्ति ३,८०,७०० करोड़ रूपए आंकी गई हैं । 
आईआईएफएल वेल्थ हुरून इंडिया की अमीरों की सूची के अनुसार लदंन स्थित एसपी हिंदूजा एवं उनका परिवार १,८६,५०० करोड़ रूपए की संपत्ति के साथ इस सूची में दूसरे स्थान पर हैं । विप्रो के अजीज प्रेमजी अमीर भारतीयों की सूची में तीसरे स्थान पर रहे हैं । उनकी कुल संपत्ति १,१७,१०० करोड़ रूपए रही हैं । इस बार की सूची में १,००० करोड़ रूपए से अधिक की संपत्ति वाले भारतीयों की संख्या बढ़कर ९५३ हो गई हैं । २०१८ में यह संख्या ८३१ थी । वहीं डॉलर मूल्य मेंअरबपतियों की संख्या १४१ से घटकर १३८ रह गई है । 
१,००० करोड़ रूपए से अधिक की संपत्ति रखने वाले ९५३ अमीरों की कुल संपत्तियां देश के जीडीपी के २७ प्रतिशत के बराबर हैं । भारतीय अमीरों की सूची में आर्सेलर मित्तल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी लक्ष्मी निवास मित्तल १,०७,३०० करोड़ रूपए की संपत्ति के साथ चौथे और ९४,५०० करोड़ रूपए की धन संपदा के साथ गौतम आडवाणी पांचवें स्थान पर रहे हैं । 
सूची में शामिल ३४४ अमीरों की संपत्ति इस साल घटी है । वहीं ११२ अमीर ऐसे रहे हैं जो १,००० करोड़ रूपए के स्तर से पीछे रहे हैं । रिपोर्ट के अनुसार २४६ यानी २६ प्रतिशत अमीर भारतीय मुंबई में रहते हैं । दिल्ली में १७५ अमीरों का निवास हैं जबकि बेंगलुरू में ७७ अमीर भारतीय रहते हैं । इस सूची में ८२ प्रवासी भारतीय (एनआरआई) भी शामिल हैं । इनमें से ७६ प्रतिशत ने अपने दम पर यह मुकाम हासिल किया हैं । एनआरआई के लिए पसंदीदा देश अमेरिका हैं । अमेरिका में ३१ अमीर भारतीयों का निवास है । उसके बाद संयुक्त अरब अमीरात और ब्रिटेन का नंबर आता है । 
एचसीएल टेक्नोलॉजी की ३७ वर्षीय रोशनी नाडर सबसे अमीर भारतीय महिला हैं । उनके बाद गोदरेज समूह की स्मिता वी. कृष्णा का नंबर आता है, जिनकी संपदा ३१,४०० करोड़ की हैं । १८,५०० करोड़ के साथ बायोकॉनकी किरण मजूमदार शॉ अपने बूते यह मुकाम हासिल करने वाली सबसे अमीर महिला हैं । 
राला मण्डल में ओपन वन्य प्राणी संग्रहालय बनेगा 
म.प्र. में इंदौर शहर के निकट रालामंडल वन क्षेत्र में कई बार पर्यटन बढ़ाने के उद्देश्य से जिला प्रशासन शहर के आसपास पर्यटन स्थलों के विकास को लेकर काम कर रहा है । इसी के चलते जहां पातालपानी शीतलामाता फाल जाम गेट बामणिया कुंड सहित अन्य स्थलोंपर पर्यटन बढ़ाने के उद्देश्य से काम किया जा रहा है । इसी के चलते शहर के सबसे करीब वन क्षेत्र राला मंडल मेंभी पर्यटन की संभावनाएं   हैं । 
प्रस्तावित योजना के अनुसार यहां ऐसे वन्यजीवों को रखा जाएगा जो मनुष्य को नुकसान नहीं पहुंचाते । फिलहाल यहां चीतल, हिरण, नीलगाय, खरगोश, मोर जैसे वन्य प्राणी तो हैं, इसलिए इनकी संख्या बढ़ाई जाएगी । नए वन्यजीव बत्तख, विदेशी चिड़िया, बटर फ्लाई पार्क, हाथी, सहित विदेशी वन्य प्राणी रखने की योजना है । एक से डेढ़ एकड़ में ब्राउंड्री वाल और जालियां लगा लगा कर प्राणियों को रखा जाएगा ताकि उन्हें जंगल में रहने का ही एहसास हो । इस योजना को लेकर शहर के बुद्धिजीवी नागरिकों से सुझाव भी मांगे गए हैं । शहर में लंबे समय से ओपन वन्य प्राणी संग्रहालय की आवश्यकता महसूस की जा रही थी । 
रालामंडल में इसके पूर्व बायोडायवर्सिटी पार्क बनाने के लिए वन विभाग द्वारा प्रयास किए गए थे । इसके बाद यहां रोप-वे बनाने की योजना भी तैयार की गई थी, जिसमेंदेवगुराड़िया की पहाड़ी से रालामंडल तक रोप-वे बनाने की योजना थी । इसके बाद कलेक्टर ने अब यहां ओपन वन्य प्राणी संग्रहालय बनाने की बात कही है । 
अब संरक्षित क्षेत्रों की जमीन बेच सकेगे किसान
म.प्र. में सरदारपुर, नौरादेही, घाटीगांव, करेरा और रातापानी सहित प्रदेश के अन्य अभयारण्यों में मौजूद निजी जमीन पर अब कोई बंदिश नहीं रही । वर्ष १९९१ में वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम में संशोधन के बाद किसानों को इस जमीन को बेचने के लिए न तो किसी से इजातत लेने की जरूरत है और न ही जमीन को डि-नोटिफाई करवाने की । ऐसा जिलों में कलेक्टरों की लापरवाही के कारण हुआ है । उन्हें किसी भी अभयारण्य का नोटिफिकेशन जारी होने के दो साल मेंसंरक्षित क्षेत्र के अंदर मौजूद करीब ८० हजार हेक्टेयर निजी जमीन का भू-अर्जन करना था, जो नहीं किया गया । इस कारण अधिनियम की धारा-१८ के तहत गठित अभयारण्य मेंअब रिजर्व फॉरेस्ट और जलाशय ही रह गए हैं । वन विभाग ने इस संशोधन को ढूंढ निकाला और निर्णय लेने के लिए प्रस्ताव राजस्व व विधि विभाग को भेज दिया । 
संरक्षित क्षेत्रों की निजी जमीन वहां के वन्यप्राणियों के लिए काफी नुकसानदासक साबित हो रही है । वर्ष १९९१ में निजी जमीन संरक्षित क्षेत्र की परिभाषा से बाहर जरूरत हो गई, लेकिन वन विभाग ने इसे अपने अधिकार से बाहर नहीं जाने दिया । 

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