सोमवार, 21 अक्तूबर 2019

प्रसंगवश
प्लास्टिक विरोधी मुहिम की दिशा क्या हो ?
एक बार इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक के खिलाफ छेड़ी जाने वाली मुहिम स्वच्छ भारत अभियान में केवल जागरूकता फैलाकर अपेक्षित सफलता हासिल नहीं की जा सकती है । प्लास्टिक की तमाम ऐसी वस्तुएं प्रचलन में आ चुकी हैं, जिनका विकल्प उपलब्ध कराकर ही उसका उपयोग कम किया जा सकता है । 
एक बार इस्तेमाल होने वालेप्लास्टिक का उपयोग सीमित करने के लिए उसके विकल्प उपलब्ध कराने के साथ ही आम जनता के समक्ष यह स्पष्ट करना भी आवश्यक है कि २ अक्टूबर से किस-किस तरह के प्लास्टिक पर पाबंदी होगी ? आम लोगों को इससे भी अवगत कराने की जरूरत है कि प्लास्टिक का उपयोग पर्यावरण के साथ ही सेहत के लिए भी हानिकारक है । 
लोगोंको चेताया जाना चाहिए कि प्लास्टिक की थैलियों में खाने-पीने की सामग्री रखने के कैसे दुष्परिणाम सामने आते हैं ? यह काम इसलिए प्राथमिकता के आधार पर होना चाहिए, क्योंकि प्लास्टिक की थैलियों के साथ कप-प्लेट आदि का इस्तेमाल गांवो-कस्बों में बड़े पैमाने पर होने लगा है और वहां अधिकतर लोग इससे अनजान ही हैं कि उनमें खान-पान की गर्म सामग्री रखना एक तरह से सेहत से जान बूझकर खिलवाड़ करना है । 
यह यही है कि एक बार इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक से बनी वस्तुआें केविकल्प रातोंरात उपलब्ध नहीं कराए जा सकते, लेकिन इस दिशा में तेजी से कदम उठाए जाना आवश्यक है । प्लास्टिक के खिलाफ अभियान केवल प्लास्टिक की थैलियोंकी  जगह छूट या कपड़े के थैले या फिर प्लास्टिक केकप के स्थान पर कुल्हड़ के इस्तेमाल को बढ़ावा देने तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए । 
वर्तमान में खान-पान की लगभग प्रत्येक सामग्री की पैकिंग प्लास्टिक में हो रही है । दूध भी प्लास्टिक की थैलियों में मिल रहा है । इसे देखते हुए यह भी समय की मांग है कि वे कंपनियां भी इस अभियान में योगदान देने के लिए सक्रिय हो, जो अपने उत्पादों की पैकिंग प्लास्टिक में करती हैं । केन्द्र और राज्य सरकारों को ऐसे उपाय भी करने होगे जिससे प्लास्टिक की रिसाइक्लिंग बढ़ सके । इसके साथ ही प्लास्टिक कचरे के निस्तारण के ऐसे तौर-तरीके विकसित करने की जरूरत है, जो पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाए या फिर कम से कम से कम नुकसान पहुचाने वाले हो । 

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