सोमवार, 21 अक्तूबर 2019

कविता
पेड़ होने का मतलब
शैलेन्द्र चौहान 

क्या समझते है लोग पेड़ से,
होने से,
उसके न होने से 

पेड का मतलब छाया,
हवा, लकड़ी,
हरियाली, आबादी

पेड जब सनसनाते 
तोड़ते सन्नाटे को,
तूफान से लड़कर
खुद टूट जाते,

लोग देखते
टूटे हुए पेड़,
आंधी में टूटे हुए 

कितने लाभदायक 
होते हैं पेड़
नहीं टूटते तब,
टूटने पर 
आते हैंअनगिनत काम

घर, द्वार, हल, मूंठ
बक्सा, संदूक, मेज - कुर्सी
नाव - घाट, मोटर रेल, बैलगाड़ी

जाने कहाँ कहाँ
जलती आग,
बहता पानी

क्या सोचते हैं हम कभी ?
पेड़ों के स्पंदन
उनके जीवन और मृत्यु की बात,
उनकी हरी-पीली पत्तिया,
शिराआें में
बहते जीवन रस के बारे,

आदमी के साथ 
पेड़ों का सम्बन्ध
क्या पूजा और उपयोग का ही है ?

क्या प्रतीक नहीं होते है पेड़
सतत जीवंतता,
उत्साह और प्रेम के 

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