कविता
पेड़ होने का मतलब
शैलेन्द्र चौहान
क्या समझते है लोग पेड़ से,
होने से,
उसके न होने से
पेड का मतलब छाया,
हवा, लकड़ी,
हरियाली, आबादी
पेड जब सनसनाते
तोड़ते सन्नाटे को,
तूफान से लड़कर
खुद टूट जाते,
लोग देखते
टूटे हुए पेड़,
आंधी में टूटे हुए
कितने लाभदायक
होते हैं पेड़
नहीं टूटते तब,
टूटने पर
आते हैंअनगिनत काम
घर, द्वार, हल, मूंठ
बक्सा, संदूक, मेज - कुर्सी
नाव - घाट, मोटर रेल, बैलगाड़ी
जाने कहाँ कहाँ
जलती आग,
बहता पानी
क्या सोचते हैं हम कभी ?
पेड़ों के स्पंदन
उनके जीवन और मृत्यु की बात,
उनकी हरी-पीली पत्तिया,
शिराआें में
बहते जीवन रस के बारे,
आदमी के साथ
पेड़ों का सम्बन्ध
क्या पूजा और उपयोग का ही है ?
क्या प्रतीक नहीं होते है पेड़
सतत जीवंतता,
उत्साह और प्रेम के
पेड़ होने का मतलब
शैलेन्द्र चौहान
क्या समझते है लोग पेड़ से,
होने से,
उसके न होने से
पेड का मतलब छाया,
हवा, लकड़ी,
हरियाली, आबादी
पेड जब सनसनाते
तोड़ते सन्नाटे को,
तूफान से लड़कर
खुद टूट जाते,
लोग देखते
टूटे हुए पेड़,
आंधी में टूटे हुए
कितने लाभदायक
होते हैं पेड़
नहीं टूटते तब,
टूटने पर
आते हैंअनगिनत काम
घर, द्वार, हल, मूंठ
बक्सा, संदूक, मेज - कुर्सी
नाव - घाट, मोटर रेल, बैलगाड़ी
जाने कहाँ कहाँ
जलती आग,
बहता पानी
क्या सोचते हैं हम कभी ?
पेड़ों के स्पंदन
उनके जीवन और मृत्यु की बात,
उनकी हरी-पीली पत्तिया,
शिराआें में
बहते जीवन रस के बारे,
आदमी के साथ
पेड़ों का सम्बन्ध
क्या पूजा और उपयोग का ही है ?
क्या प्रतीक नहीं होते है पेड़
सतत जीवंतता,
उत्साह और प्रेम के
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें