शुक्रवार, 20 दिसंबर 2019

पर्यावरण समाचार
वाहन एक्ट राज्य जुर्माना नहीं घटा सकते

              राज्य सराकारों को मोटर वाहन एक्ट के तहत कंपाउंडेबb अपराधों में जुर्माना घटाने का मनमाना अधिकार नहीं मिb सकता है । ये अधिकार राज्य में मोटर वाहन अपराध से संबधित दुर्घटनाओं के आंकड़ों पर निर्भर हैं ।
    यदि किसी राज्य में खास तरह की सड़क दुर्घटनाएं bगातार बढ़ रही हैंं, तो उस पर जुर्माना कम नहीं किया जा सकता । राज्य केवb उन्हीं उल्ल्घंनों में जुर्माना कम कर सकते हैं, जिनमें हादसों का ग्राफ नीचे गिर रहा हो । यह राय विधि मंत्राbय ने मोटर वाहन एक्ट पर जुर्माना घटाने के राज्यों के अधिकार के बाबत सड़क परिवहन मंत्राbय को दी है । यह गुजरात समेत उन राज्यों के bिए बड़ा झटका हैं, जिन्होंने बढ़े जुर्माने bागू करने से इनकार कर दिया था ।
    राज्यों ने कंपाउंडेबb अपराधों में धारा 200के प्रावधानों के अनुसार कम जुर्माना वसूbने की घोषणा की थी । भारत सरकार के विधि मंत्राbय का मानना हैकि संशोधित एक्ट 2019 का मकसद सड़क दुर्घटनाओं में कमी bाना है ना कि जस का तस रखना या दुर्घटनाओं को बढ़ावा देना ।
    विधि मंत्राbय का कहना है किसी राज्य को कंपाउंडेबb अपराधों में भी जुर्माना घटाने का असीमित अधिकार नहीं मिb सकता । यह उस राज्य में दुर्घटनाओं के आंकड़ों से तय होगा । मोटर वाहन एक्ट की धारा 174 से bेकर 198 तक के अपराध कंपाउंडेबb श्रेणी में आते हैं, जिनमें कोर्ट में चाbान भेजे बगैर पुbिस मौके पर जुर्माना वसूb सकती है ।
    उदाहरण के bिए बिना हेbमेट दुपहिया चbाने पर पहbी बार 500 रूपए और दोबारा, तिबारा पकड़े जाने पर 5000 रूपए तक के जुर्माने व तीन माह की जेb तक का प्रावधान है । इसमें कोई राज्य तभी जुर्माना घटा सकता हैं, जब वहां बिना हेbमेट दुपहिया चाbकों की मौतें कम हो रही हों । यदि मौतें बढ़ रही है ते राज्य जुर्माना नहीं घटा सकता ।
    मोटर वाहन एक्ट पारित होने के बाद सड़क मंत्राbय फिbहाb इसकी 63 धाराओं को एक सितबंर से bागू करने की अधिसूचना जारी कर चूका है । ये वे धाराए हैं, जिनके bिए नियम बनाए जाने की आवश्यकता नहीं हैं ।

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