वनस्पति जगत
देसी पर भारी अमेरिकन भुट्टा
डॉ. किशोर पंवार
बचपन में यह लाइन खूब गाई है पानी बाबा आएगा ककड़ी भुट्टा लाएगा । पानी बाबा ने इस बार कुछ ज्यादा ही इंतजार कराया था । हालांकि जिनके खेतोंमें सिंचाई की व्यवस्था थी उन्होंने ककड़ी-भुटटे समय रहते ही बो दिए थे ।
नतीजा हमारे सामने है । गली-मोहल्लों में ककड़ी-भुट्टों की आवाज और रसोई में इनकी महक आने लगी है । बारिश में ककड़ी-भुट्टे का चोली दामन का साथ है । दोनों खरीफ की फसलें हैं । आज से कुछ वर्षो पूर्व बाजार में भुट्टे की भरमार थी । सेंककर खाओ या भुट्टे का कीस बनाओ । कभी भुट्टे मीठे निकलते थे तो कभी फीके । कभी पर्यटक स्थलोंपर जैसे कुल्लु-मनाली, रोहतांग दर्रा और मुम्बई में अमेरिकन भुट्टे खाने का मौका मिला । वाकई गजब के मीठे थे वे भुट्टे । अब तो हर कहीं अमेरिकन भुट्टे मिलने लगे हैं ।
वर्तमान में तो शहरों में ये हाल है कि देसी भुट्टे मिलते ही नहीं है । जिसे देखो वह अमेरिकन भुट्टे बो रहा है, बेच रहा है । देसी भुट्टे पर अमेरिकन भुट्टे भारी पड़ रहे हैं । पर ये देसी और अमेरिकन का चक्कर क्या है ? और ये मक्का क्या है ? कहां की है । आइए इन सवालों को बूझते हैं ।
मक्का सदियों से गरीबों और आदिवासियों का मुख्य भोजन रहा है परन्तु जब पता चला कि मक्का तो हमारी नहीं है और हमसे इसकी मुलाकात कुछ ही सैकड़ों वर्षो की है, इससे मुझ्े तो बड़ा झटका लगा । हालांकि मक्का को इंडियन कॉर्न कहा जाता है । तो अब दो कॉर्न हो गए - इंडियन और अमेरिकन । इंडियन फीका-मीठा और अमेरिकन मीठा-मीठा, कभी फीका नहीं । क्या है इसके मीठेपन का राज ? अमेरिकन कॉर्न का एक नाम है स्वीट कॉर्न यानी मीठी मक्का । इसके मीठे होने में एक जीन की भूमिका है ।
मक्का एक बड़ी घास
दुनिया के महत्वपूर्ण अनाजों की गिनती में एक मात्र अमरीकी देन मक्का है । जंगली अवस्था में यह संभवत: ट्रॉपिकल दक्षिणी अमेरिका में उत्पन्न हुई है । वहां से एंडीज तक फैली । प्रसिद्ध यात्री कोलबंस इसे युरोप में ले गया । एशिया में इसे पुर्तगाली शासक लाए । भारत में भी मक्का को लाने का श्रेय पुर्तगालियों को ही जाता है । वर्तमान में तो लगभग पूरी दुनिया में इसकी खेती बड़े पैमाने पर होती है ।
मक्का एक बड़ी वार्षिक घास है जो लगभग १ से १.५ मीटर तक लंबी होती है तथा गांठदार है । इसका तना शुरूआत की युवा अवस्था में मीठा होता है । पत्तियां बड़ी-बड़ी एकांतर क्रम में लगी होती है । फूल दो तरह के आते हैं । शीर्ष पर नर पुष्पक्रम लगा होता है जिसे मांज कहते हैं । नीचे की ओर पत्तियों की कक्ष में मादा पुष्पक्रम पाया जाता है । जिसे काव या इधर कहते हैं । इसमें सैकड़ों की संख्या में अंडाशय लगे होते हैं जिनसे बारीक लंबे रेशे के रूप में स्टाइल (वर्तिका) निकलती है जिसे हम भुट्टे की मूंछ या बाल कहते हैं ।
दरअसल ये इसके मादा फूलोंकी वर्तिकाएं ही हैं । वनस्पति जगत में ये सबसे लंबी वर्तिकाएं हैं । अंडाशय ही पकने पर मक्का का दाना कहलाता है । ये भुट्टे पर कतार में लगे होते हैं । भुट्टा पतीनुमा बे्रक्ट से ढंका रहता है । इन्हें ही पोगरे कहते हैं ।
मक्का तरह-तरह की
पॉडकार्न (वेराइटी ट्यूनिकेटा) सबसे पुरानी मक्का है । उसके दाने फूलोंमें ब्रेक्ट से ढंके होते हैं । यह गेहूं, ज्वार की तरह उगाई जाती है परन्तु दक्षिण अमेरिका के इंडियन्स का मानना है कि इसमें कुछ जादुई शक्ति है ।
पॉपकार्न (वेरायटी इवेरेटा) - बच्च्े बूढ़े सभी इससे परिचित है । इसका दाना छोटा परन्तु कड़क होता है । भट्टी में गर्म करने से इसमें पॉपिंग होती है अर्थात धानी बनती है ।
फिन्टकॉर्न (वेरायटी इन्ड्रयूरेटा) - इसके दाने कई रंगों के और छोटे होते हैं । यूरोप, एशिया, अमेरिका और अफ्रीका में मुख्य रूप से उगाई जाती ।
सॉफ्ट कार्न (वेरायटी एमायलेसिया) ही वह मक्का है जिससे आटा बनता है । इसका स्टार्च मुलायम होता है । उसकी उत्पत्ति मक्का के दूसरे गुणसूत्र पर हुए एक उत्परिवर्तन से हुई है ।
स्वीट कॉर्न (जिआमेज, वेरायटी रूगोसा) जिसे इंडियन कॉर्न, स्वीट कॉर्न, शुगर कॉर्न और सिर्फ कॉर्न भी कहा जाता है । स्वीट कॉर्न दरअसल मक्का की एक किस्म है जो प्राकृतिक रूप से एक अप्रभावी जीन के उत्परिवर्तन का नतीजा है । दरअसल इस उत्परिवर्तन के कारण इसकी शकर स्टार्च मेंनहीं बदलती और वह मीठी ही बनी रहती है । यह उत्परिवर्तन उस जीन में होता है जो शकर को स्टार्च में परिवर्तित करने का काम करती है ।
इसका दाना मोती-सा चमकदार लगभग पारभासी होता है । शकर से भरपूर फील्ड कॉर्न की कटाई भुट्टे के सूखने पर की जाती है । स्वीट कॉर्न को कच्च यानी सूखने के पूर्व ही तोड़ लिया जाता है । इसे सब्जी की तरह ज्यादा उपयोग किया जाता है या सेंककर या स्टीम करके खाया जाता है । यदि यह घर पर कुछ दिनोंतक पड़ा रहे तो इसके दाने अन्य मक्का की तरह सूखते नहींसिकुड़ जाते हैं । यह भी उसी जीन का असर है जो इसे मीठा बनाता है ।
किसी अन्य अनाज की तुलना में मक्का के ज्यादा विविध उपयोग हैं । भुट्टे कच्च्े या सेंककर खाए जाते हैं । सूखे दानों से आटा बनाकर रोटी बनाई जाती है । दानों को चपटा कर लोकप्रिय बे्रकफास्ट कॉर्न फ्लेक्स बनाया जाता है । पत्तियां और हरा तना पशुआें के लिए हरे चारे के रूप मेंकाम आता है ।
अमेरिकन कॉर्न को तो सब्जी के रूप में या कच्च ही खाया जाता है इससे आटा नहीं बनता । अमेरिका में मक्का का उपयोग सूअर पालन केन्द्रों पर मुख्य रूप से पशु आहार के रूप में किया जाता है । इससे कॉर्न स्टार्च बनता है । इससे ग्लूकोज व कॉर्न सिरप भी बनाया जाता है । दानों से किण्वित पदार्थ भी बनाए जाते हैं ।
इसके प्रोटीन से कृत्रिम रेशा भी बनाया जाता है जिसकी प्रकृति ऊन जैसी होती है । इसके पिथ का उपयोग हल्के पेकिंग मटेरियल के रूप मेंकिया जाता है । इस तरह हम देखते हैं कि मक्का भोजन, चारा, रेशा और एल्कोहल बनाने में भी काम आती है । हाल ही में इससे बायो डीजल बनाने के प्रयास भी हुए है ।
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