कविता
पानी है अनमोल
डॉ. अर्चना रानी वालिया
पानी है अनमोल, मोल सब, इसका जानो रे ।
बिन पानी सब सून-सून, सब सच्ची मानो रे ।।
पानी है अनमोल ।।
उत्तर से दक्षिण तक हर सागर है खारा जल,
जीवन जल से होता जाता खाली भू-अँचल ।
पानी पर कल विश्वयुद्ध की रक्खी नींव गयी तो,
उसका ही भूजल होगा, जिसके भुज है बल ।।
पानी है अनमोल ।।
जल ही जग का जीवन लेकिन मोल न समझा भैया,
धरती का जल पीकर चलता प्रगति वाला पहिया ।
बूँद-बूँद को सफल सृष्टि कल तरसेगी रे हाय,
कहे सूखती झीलें, नदियें, कुइया, ताल तलैया ।।
पानी है अनमोल ।।
बादल जब-जब, घिर-घिर आवै, मीठा जल बरसावै,
बारिश वाला अमृत - जल क्यों, वाहक व्यर्थ गवावैं ।
उठो कि भूजल भंडारण, संरक्षण की ले कसमें,
जितना धरती को लौटावै, उतना तू कल पावैं ।।
पानी है अनमोल ।।
पानी है अनमोल
डॉ. अर्चना रानी वालिया
पानी है अनमोल, मोल सब, इसका जानो रे ।
बिन पानी सब सून-सून, सब सच्ची मानो रे ।।
पानी है अनमोल ।।
उत्तर से दक्षिण तक हर सागर है खारा जल,
जीवन जल से होता जाता खाली भू-अँचल ।
पानी पर कल विश्वयुद्ध की रक्खी नींव गयी तो,
उसका ही भूजल होगा, जिसके भुज है बल ।।
पानी है अनमोल ।।
जल ही जग का जीवन लेकिन मोल न समझा भैया,
धरती का जल पीकर चलता प्रगति वाला पहिया ।
बूँद-बूँद को सफल सृष्टि कल तरसेगी रे हाय,
कहे सूखती झीलें, नदियें, कुइया, ताल तलैया ।।
पानी है अनमोल ।।
बादल जब-जब, घिर-घिर आवै, मीठा जल बरसावै,
बारिश वाला अमृत - जल क्यों, वाहक व्यर्थ गवावैं ।
उठो कि भूजल भंडारण, संरक्षण की ले कसमें,
जितना धरती को लौटावै, उतना तू कल पावैं ।।
पानी है अनमोल ।।
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