पर्यावरण समाचार
पेरिस पर्यावरण समझौते को लागू करने की मांग
बेसिक (ब्राजील, साउथ अफ्रीका, भारत और चीन) देशों के पर्यावरण मंत्रियों ने आह्वान किया है कि पेरिस जलवायु समझौते को व्यापक रूप से लागू किया जाए । जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्उ ट्रंप ने समझौते से हटने की धमकी दी है । मंत्रियों ने यह भी कहा कि विकसित देश जलवायु कार्ययोजना को लागू करने से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए विकासशील देशों को १०० अरब डॉलर की मदद दें ।
पिछले दिनों बीजिंग में हुई बेसिक देशों के पर्यावरण मंत्रियों के २९वें सम्मेलन में भारत के पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर शामिल हुए । बेसिक मंत्रियों की बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान मेंकहा गया कि मंत्रियों ने पेरिस समझौते को व्यापक रूप से लागू करने पर जोर दिया । विशेष रूप से लक्ष्य और सिद्धांतों को व्यापक रूप से लागू किया जाना चाहिए । श्री जावडेकर ने बताया कि दिसबंर में चीली में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन होने जा रहा है । बेसिक देशों के पर्यावरण मंत्रियों की बैठक में इस सम्मेलन में समूह के रूप में उठाए जाने वाले मुद्दों और प्राथमिकताआें को तय किया गया । श्री जावडेकर ने बताया कि बैठक सफल चीली में होने वाले सम्मेलन में पेरिस समझौते के क्रियान्वयन पर चर्चा की जाएगी । इसमें ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन कोे कम करने के साथ जलवायु वित्तीय मदद के मुद्दे पर चर्चा होगी ।
चीन और अमेरिका को दुनिया मेंसबसे अधिक प्रदूषणकारी माना जाता हैं । दोनों ही देशों ने पेरिस समझौते पर दस्तखत किए हैं लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने समझौता से हटने की धमकी दी हैं । समझौते पर हस्ताक्षर पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने किए थे । पिछले दिनो ट्रंप ने कहा था कि अमेरिका पेरिस समझौते से निश्चित रूप से हटेगा । इस समझौते को उन्होंने बूरा सौदा करार दिया ।
उन्होंने दावा किया कि उनकी जैव ईधन समर्थक नीतियो के कारण ही अमेरिका ऊर्जा में सुपरपावर बन पाया है । अमेरिका अगले साल समझौते से बाहर होगा । श्री जावड़ेकर ने कहा कि विकसित देश विकासशील व अविकसित देशों को हरसाल १०० अरब डालर की मदद दें जिससे जलवायु परिवर्तन का प्रबंधन हो सकें ।
पेरिस पर्यावरण समझौते को लागू करने की मांग
बेसिक (ब्राजील, साउथ अफ्रीका, भारत और चीन) देशों के पर्यावरण मंत्रियों ने आह्वान किया है कि पेरिस जलवायु समझौते को व्यापक रूप से लागू किया जाए । जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्उ ट्रंप ने समझौते से हटने की धमकी दी है । मंत्रियों ने यह भी कहा कि विकसित देश जलवायु कार्ययोजना को लागू करने से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए विकासशील देशों को १०० अरब डॉलर की मदद दें ।
पिछले दिनों बीजिंग में हुई बेसिक देशों के पर्यावरण मंत्रियों के २९वें सम्मेलन में भारत के पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर शामिल हुए । बेसिक मंत्रियों की बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान मेंकहा गया कि मंत्रियों ने पेरिस समझौते को व्यापक रूप से लागू करने पर जोर दिया । विशेष रूप से लक्ष्य और सिद्धांतों को व्यापक रूप से लागू किया जाना चाहिए । श्री जावडेकर ने बताया कि दिसबंर में चीली में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन होने जा रहा है । बेसिक देशों के पर्यावरण मंत्रियों की बैठक में इस सम्मेलन में समूह के रूप में उठाए जाने वाले मुद्दों और प्राथमिकताआें को तय किया गया । श्री जावडेकर ने बताया कि बैठक सफल चीली में होने वाले सम्मेलन में पेरिस समझौते के क्रियान्वयन पर चर्चा की जाएगी । इसमें ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन कोे कम करने के साथ जलवायु वित्तीय मदद के मुद्दे पर चर्चा होगी ।
चीन और अमेरिका को दुनिया मेंसबसे अधिक प्रदूषणकारी माना जाता हैं । दोनों ही देशों ने पेरिस समझौते पर दस्तखत किए हैं लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने समझौता से हटने की धमकी दी हैं । समझौते पर हस्ताक्षर पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने किए थे । पिछले दिनो ट्रंप ने कहा था कि अमेरिका पेरिस समझौते से निश्चित रूप से हटेगा । इस समझौते को उन्होंने बूरा सौदा करार दिया ।
उन्होंने दावा किया कि उनकी जैव ईधन समर्थक नीतियो के कारण ही अमेरिका ऊर्जा में सुपरपावर बन पाया है । अमेरिका अगले साल समझौते से बाहर होगा । श्री जावड़ेकर ने कहा कि विकसित देश विकासशील व अविकसित देशों को हरसाल १०० अरब डालर की मदद दें जिससे जलवायु परिवर्तन का प्रबंधन हो सकें ।
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