गुरुवार, 21 नवंबर 2019

सम्‍पादकीय
अब देश में बनेगी जीन कुण्डली 

अब देश में ही जीन कुंडली बनवा पाना संभव हो गया है । इससे पता चल सकेगा कि भविष्य में आपको या आपकी संतानों को १७०० से ज्यादा किस्म की आनुवांशिक बीमारियों में से कौन सी बीमारी हो सकती है । यह भी जान सकेगे कि एक ही बीमारी से पीड़ित दो अलग-अलग मरीजों में से किसके लिए कौन सी दवा ज्यादा असरदार होगी । जीन कु ण्डली बनाना दरअसल किसी व्यक्ति के जीनोम को सीक्वेंस कर लेना है । 
किसी व्यक्ति की आंख, त्वचा, बालों के रंग, नाक व कान के आकार, आवाज, लम्बाई जैसे सभी लक्षणों से लेकर बीमारियों का होना या न होना जीन से तय होता है । जीन हर प्राणी की कोशिका में होते हैं । शरीर की हरेक कोशिका में मौजूद ३.३ अरब जीन को सामूहिक रूप से जीनोम कहा जाता है । सभी जीन को क्रमबद्ध करना जीन कुण्डली कहलाता है । 
काउंसिल ऑफ साईटिफिक एंड इंडस्ट्रीयल रिसर्च (सीएसआईआर) की हैदराबाद और दिल्ली की लैब ने छह महीने के भीतर देशभर से एकत्र किए गए १००८ नमूनों की जीनोम सीक्वेसिंग पूरी कर ली है । सैंपल देने वाले सभी लोगों की सीएसआईआर की आईजीआईबी लैब ने इंडिजेन कार्ड भी जारी किया है । सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि लैब में समय सीमा के अंदर जीनोम सीक्वेंस करने में सफलता पाई है । 
अभी तक जीन सीक्वेंस तैयार करने में सालों लगते थे । इंडिजेन कार्ड में व्यक्ति विशेष के जीनोम का पूरा डेटा उपलब्ध है जिसे एक विशेष एप व क्लीनिकल एक्सपर्ट की मदद से इस्तेमाल किया जा सकता है । इससे पता चल सकता है कि आनुवांशिक रूप से होने वाली बीमारियों में से किस बीमारी का जीन आपके शरीर में मौजूद है । यदि ऐसे व्यक्ति की शादी इसी किस्म के जीन वाले व्यक्ति से होती है, तो संतान को वह रोग हो सकता है । इसीलिए विवाह तय करने या संतान की योजना बनाने में इंडिजेन कार्ड यानी जीन कुण्डली उपयोगी साबित हो सकती है । 

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