गुरुवार, 21 नवंबर 2019

प्रसंगवश
नौणी विश्वविद्यालय ने निकाला प्याज का विकल्प 

हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में नौणी स्थित डॉ. यशवन्त सिंह परमार औघोगिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय ने प्याज की एक किस्म विकसित की है जो खरीफ मौसम में उगाई जा सकेगी और किसानों के लिए भी यह बेहतर आमदनी का स्त्रोत बनेगा । 
समय-समय पर यह देखा गया है कि प्याज के दाम, आम जनता की पहुंच से दूर हो जाते हैं । खरीफ प्याज जैसी नई किस्म न केवल आम जनता को महंगाई के दंश से बचा सकती है । अपितु किसानों की आमदनी बढ़ाने का भी एक विकल्प हो सकता है, बशर्ते किसान इसकी खेती की तकनीक हासिल कर वैज्ञानिक विधि अपनाएं । खरीफ प्याज की फसल ऐसे समय में बाजार में दस्तक देती है है जब आम जनता प्याज के आसमान छूती कीमतों से परेशान होती है । 
विश्वविद्यालय के सब्जी वैज्ञानिक डॉ. दीपा शर्मा, खरीफ प्याज की लोकप्रियता एवं जागरूकता बढ़ाने के लिए केन्द्र के विज्ञान एवं प्रौघोगिकी विभाग द्वारा स्वीकृत २०.४३ लाख रूपए की एक परियोजना पर कार्य कर रही   है । 
यह योजना वर्तमान मेंचम्बा जिले के विभिन्न स्थानों पर  चलाई जा रही है जिसमें विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. राजीव रैना और डॉ. संजीव बन्याल सह प्रमुख अन्वेषक के रूप में कार्य कर रहे है । इस परियोजना के अन्तर्गत गत दो वर्षोमें चम्बा जिले के विभिन्न स्थानों पर २४५ प्रदर्शन एवं १४ प्रशिक्षण कार्यक्रम किए गए जिनसे लगभग ३६२ किसान लाभान्वित हुए । 
डॉ.शर्मा के अनुसार खरीफ प्याज की एक क्विंटल गठि्ठयां तैयार कर रख ली जाएं तो बाद में प्याज के रूप में छह गुणा अधिक उत्पादन देती है । बाजर में यही प्याज ५० रूपए किलोग्राम के हिसाब से आराम से बिक जाता है । किसान एक क्विंटल गठि्ठयों से लगभग छह क्विंटल प्याज प्राप्त् कर ३० हजार रूपए तक आय प्राप्त् कर सकता है । लिहाजा किसान न केवल अपने लिए प्याज उत्पादन कर सकता है बल्कि आम जनता के लिए भी बाहरी राज्योंकी आवक के बजाय क्षेत्रीय प्याज को सस्ते दामोंपर उपलब्ध करा सकता है । 
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. परविंदर कौशल ने खरीफ प्याज पर किए इस कार्य को किसानों द्वारा व्यावसायिक स्तर पर अपनाने तथा विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को इसे अधिकाधिक किसानों तक पहँुचाने का आग्रह किया है । 

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