कविता
पक्षी और बादल
रामधारी सिंह दिनकर
पक्षी और बादल,
ये भगवान के डाकिये है,
जो एक महादेश से
दूसरे महादेश को जाते हैं ।
हम तो समझ नहीं पाते हैं,
मगर उनकी लायी चिटि्ठयों
पेड़, पौधे, पानी और पहाड़
बॉचते हैं ।
हम तो केवल यह आंकते है
कि एक देश की धरती
दूसरे देश को सुगन्ध भेजती है ।
और वह सौरभ हवा में तैरती हुए
पक्षियों की पांखों पर तिरता है ।
और एक देश का भाप
दूसरे देश का पानी
बनकर गिरता है ।
पक्षी और बादल
रामधारी सिंह दिनकर
पक्षी और बादल,
ये भगवान के डाकिये है,
जो एक महादेश से
दूसरे महादेश को जाते हैं ।
हम तो समझ नहीं पाते हैं,
मगर उनकी लायी चिटि्ठयों
पेड़, पौधे, पानी और पहाड़
बॉचते हैं ।
हम तो केवल यह आंकते है
कि एक देश की धरती
दूसरे देश को सुगन्ध भेजती है ।
और वह सौरभ हवा में तैरती हुए
पक्षियों की पांखों पर तिरता है ।
और एक देश का भाप
दूसरे देश का पानी
बनकर गिरता है ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें