शुक्रवार, 18 मई 2018

प्रसंगवश
साफ पानी आज भी बड़ी चुनौती
देश की आबादी का बड़ा हिस्सा गंदा पानी पीने को मजबूर है । हालात इतने गंभीर इसलिए हो गए कि देश के ज्यादातर हिस्सों में जमीन के भीतर का पानी गंदा और जहरीला हो चुका है । भू-जल में फ्लोराइड, आर्सेनिक, लौह व नाइट्रेट जैसे तत्वों, लवणों और भारी धातुआें की मात्रा इस कदर बढ़ चुकी है कि ऐसे पानी को पीने वाले गंभीर बीमारियों के शिकार होते जा रहे है । इससे त्वचा संबंधी रोग, सांस की बीमारियां, हडि्डया कमजोर पड़ना, गठिया और कैंसर जैसे रोग दस्तक दे रहे है । जिन राज्यों में ज्यादातर लोग गंदा और जहरीला पानी को विवश है उनमें पश्चिम बंगाल, असम और राजस्थान सबसे उपर है । देश में पानी की गुणवत्ता को लेकर एकीकृत प्रबंधन सूचना प्रणाली ने जो आंकड़े पेश किए है वे चौंकाने वाले है । राजस्थान में ७७ लाख से ज्यादा लोग दूषित पानी पीने को मजबूर है और इससे होने वाली बीमारियों से जूझ रहे है । राजस्थान के बड़ हिस्से में पानी में फ्लोराइड, नाइट्रेट और दूसरे लवण है । इनमें ४१ लाख लोग फ्लोराइड, २८ लाख से ज्यादा लोग लवणयुक्त पानी और ८ लाख नाइट्रेट युक्त पानी पी रहे है । असम के हालात तो और गंभीर है, जहां १७ लाख लोगों को आर्सेनिक घुला पानी पीना पड़ रहा है । पश्चिम बंगाल में करीब पौने दो करोड़ लोगों को इस तरह को जहरीला पानी मिल रहा है । देश भर में ऐसा दूषित जल पीने वालों का आंकड़ा ४७ करोड़ के पार है । तब सवाल उठता है क्या पीने का साफ पानी कभी नसीब हो भी पाएगा या नहीं ? लोगो को साफ पानी मुहैया कराने की क्या सरकारें की कोई जिम्मेदार नहीं है ? देश आज पीने के पानी और साफ पानी की जिस समस्या से जूझ रहा है, उसकी जड़े जल प्रबंधन में हमारी घोर नाकामी में देखी जा सकती है । दो समस्याएं है । एक पानी नहीं है । और दूसरी यह कि जहां पानी है वह पीने लायक नहीं है । बारिश के पानी को संग्रहित और संरक्षित करने का कोई ठोस तंत्र हम आज तक विकसित नहीं कर पाएं है, जबकि आज भी यह परंपरा का हिस्सा माना जाता है ।
कहने को पेयजल के मसले पर कितनी ही योजनाएं-परियोजनाएं बनी, लेकिन जल संकट से मुक्ति नही मिली । यह इस बात का प्रमाण है कि इन योजनाआें पर ठोस तरीके से अमल नहींहुआ । हालांकि केंद्र सरकार राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल योजना के तहत राज्य सरकारों को पानी की गुणवत्ता सुधारने के लिए तकनीकी और आर्थिक मद्द मुहैया करा रही है । लेकिन ये काम बहुत मंथर गति से हो रहे है, जबकि समस्या काफी तेजी से बढ़ रही है । देश को साफ पानी की उपलब्धता की चुनौती को दूर करना बेहद जरुरी है । हर नागरिक को साफ पेयजल दिया जाना अभी भले ही चुनौती हो, मगर प्रयास किए जाएं, तो ऐसा संभव है । अब तक इस दिशा में सामूहिकता का अभाव दिखता है ।

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