शुक्रवार, 18 मई 2018

खास खबर
भारत फ्रांस में सोलर ऊर्जा समझौता
विशेष संवाददाता द्वारा
वर्ष २०१५ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने मिलकर पेरिस में इंटरनेशनल सोलर एलायंस का गठन किया था । २०१६ में ओलांद ने ही गुड़गांव में पांच एकड़ भूमि पर इंटरनेशनल सोलर एलायंस (आईएसए) के मुख्यालय की नींव रखी थी । इसके बाद से इस संगठन को क्रियाशील करने के प्रयास दोनोंदेशों द्वारा तेज़ी से किए जा रहे थे । अब ११ मार्च २०१८ को इस संगठन के कामकाज की औपचारिक शुरुआत संभव हो सकी है । ११ मार्च २०१८ को फ्रांस के वर्तमान राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रो द्वारा आईएसए के पहले अंतराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन भारत के राष्ट्रपति भवन में किया गया । इस सम्मेलन में दुनिया भर के कईदेशों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है । इसमें श्रीलंका, बांग्लादेश समेत २३ देशों के राष्ट्राध्यक्ष, १० देशों के मंत्री तथा १२१ देशोंके प्रतिनिधियों सहित वर्ल्ड बैंक, ब्रिक्स बैंक, एडीबी और युरोपियन इंवेस्टमेंट बैंक के अधिकारी शामिल हुए । सभी देशों ने एक साथ मिलकर आने वाले समय में अधिक सौर ऊर्जा उत्पादन करने तथा प्रयोग करने पर सहमति जताई है ।
फ्रांस और भारत के इस संयुक्त प्रयास को आज पूरी दुनिया बड़ी आशा भरी नज़रों से देश रही है । यही कारण है कि आईएसए से बड़ी संख्या में देश जुड़ गए है और इस संगठन ने दुनिया के कईबड़े संगठनोंकी बराबरी कर ली है । इस सम्मेलन मे सौर ऊ र्जा को बढ़ावा देने सहित क्राउड फंडिंग टेक्नोलॉजी ट्रांसफर ग्रामीण विद्युतीकरण, जल आपूर्ति और सिंचाई जैसे मुददों पर विकसित प्रोजेक्ट्स भी चर्चा की गई ।
इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रो ने कहा कि फ्रांस २०२२ तक आईएसए को ५६०० करोड़ रुपए का फंड उपलब्ध कराएगा । इससे पहले भी इस संगठन के गठन के समय २४०० करोड़ देने की घोषणा फ्रांस ने की थी । इस तरह फ्रांस इस एलायंस के कार्य में कुल ८००० करोड़ रुपए लगाने जा रहा है । इसके ज़रिए साल २०३० तक  १००० गीगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है जिसका बाज़ार मूल्य ६५ लाख करोड़ रुपए होगा । इसके माध्यम से अन्य ऊ र्जा स्त्रोतोंपर निर्भरता भी घटेगी । इससे अक्षय ऊ र्जा के इस्तेमाल को बढ़ावा मिलेगा जो संगठन के सभी देशोंको लाभ पहुंचाएगा ।
चार साल में १७५ गीगावाट बिजली
फिलहाल भारत करीब २० गीगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन कर रहा है । नवीनीकृत ऊर्जा का कुल उत्पादन ५८.३० गीगावाट होता है जो देश के कुल ऊर्जा उत्पादन का १८.५ प्रतिशत हिस्सा है । आईएसए के उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत २०२२ तक नवीनीकृत ऊर्जा स्त्रोतोंसे १७५ गीगावट बिजली पैदा करने लगेगा । इसमें सौर ऊर्जा का हिस्सा १०० गीगावाट रहेगा । भारत ने पिछले कुछ सालों में ऊर्जा के किफायती साधनों का प्रयोग किया है । इसके अंतर्गत पिछले ३ साल मेंदेश में २८ करोड़ एलईडी बांटे गए है जिससे २ अरब डॉलर और ४ गीगावाट बिजली की बचत हुई है ।
अक्षय ऊ र्जा के लाभ को देखते हुए ही भारत ने फ्रांस के साथ मिलकर दुनिया के सबसे बड़े अक्षय ऊर्जा कार्यक्रम की शुरुआत की है । इसके सुफल आने वाले भविष्य में प्राप्त् होंगे । भारत ने २०३० तक ४० प्रतिशत बिजली का उत्पादन गैर जीवाश्म स्त्रोतो से करने का लक्ष्य भी तय किया है ।
इंटरनेशनल सोजर एलायंस
यह कर्क और मकर रेखा के बीच आने वाले देशों का समूह है । इसमें १२१ देश शामिल है । इन देशों में अच्छी धूप पड़ती है । इसलिए सौर ऊ र्जा से यहां बड़े पैमाने पर लाभ हो सकता है । हर साल दुनिया में ऊर्जा से बड़ा पैमाने पर लाभ हो सकता है । हर साल दुनिया ऊ र्जा पर ४५५ लाख करोड़ का खर्च आता है । एक अनुमान के अनुसार यह दुनिया के कुल जीडीपी का करीब १० प्रतिशत है । आईएसए का मकसद सौर ऊ र्जा के उपयोगर को बढ़ावा देना तथा गरीब देशों को कम लागत में सौर ऊ र्जा उपलब्ध कराना है ।
भारत में सौर ऊ र्जा
भारत में सौर ऊर्जा उत्पादन की प्रबल संभावनाएं है । हैंडबुक ऑन सोलर रेडिएशन ओवर इंडिया के अनुसार, भारत के अधिकांश भाग में एक वर्ष में २५०-३०० दिन धूप मिलती है । इससे प्रतिदिन प्रति वर्ग मीटर ४-७ किलोवाट का सौर विकिरण प्राप्त् होता है । आज भारत में खुला क्षेत्र बड़ी मात्रा में है लेकिन उसके अनुसार सौर ऊ र्जा का उत्पादन नहीं हो पा रहा है । उम्मीद की जा सकती है कि अक्षय ऊ र्जा को बढ़ावा देने के लिए नई-नई परियोजनाएं शुरु होने से अन्य ऊ र्जा स्त्रोतोंपर हमारी निर्भरता काफी हद तक कम हो जाएगी । आज भारत में ३० करोड़ लोग बिजली से वंचित है । विशेषज्ञों का कहना है कि २०३५ तक भारत में सौर ऊर्जा की मांग सात गुना तक बढ़ सकती है । साथ ही अगर भारत में सौर ऊ र्जा का इस्तेमाल बढ़ाया जाए तो इससे जीडीपी दर भी बढ़ाई जा सकती है । इन सभी दृष्टियों से सौर ऊ र्जा को बढ़ावा देना लाभप्रद है ।
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