मंगलवार, 16 जनवरी 2018

विज्ञान जगत
आठ ग्रहों वाले नए सौरमंडल की खोज
प्रदीप
सदियों से ब्रह्मांड मानव को आकर्षित करता रहा है । इसी आर्कषण ने खगोल वैज्ञानिकों को ब्रह्मांडीय प्रेक्षण और ब्रह्मांड अन्वेषण के लिए प्रेरित किया । 
ब्रह्मांड के रहस्योंकी कुछ परतोंको खोलने के क्रम मेंअमेरिकी अंतरिक्ष संस्थान नासा ने हमारे सौर मंडल के तुल्य एक नए सौर मंडल का पता लगाया है, जिसके प्रधान तारे केप्लर-९० के ईद-गिर्द आठ ग्रह परिक्रमा कर रहे है । दरअसल, यह तारा और उसके सात ग्रह पहले ही खोज लिए गए थे, मगर अब वहींपर आठवें ग्रह की भी पहचान कर ली गई है, जिसको केप्लर-९० नाम दिया गया है । 
ऐसे में केप्लर-९० तंत्र की तुलना हमारे सौरमंडल से की जा सकती है क्योंकि केप्लर-९० के पास हमारे सूर्य के जैसे आठ ग्रह हैं । दिलचस्प बात यह है कि हमारे सौर मंडल के बाहर खोजा गया यह अब तक का सबसे बड़ा सौर मंडल है ।
इस ग्रहीय तंत्र का नाम केप्लर-९० दिया गया है क्योंकि इसे केप्लर अंतरिक्ष दूरबीन के द्वारा खोजा गया है । केप्लर अंतरिक्ष दूरबीन को नासा ने ७ मार्च २००९ को अंतरिक्ष मेंप्रक्षेपित किया था । इसका काम सूर्य से इतर किंतु उसी तरह के अन्य तारों के ईद-गिर्द ऐसे बाह्म ग्रहोंको ढंूढना है जो पृथ्वी से मिलते-जुलते हों और उन पर जीवन की संभावना हो । इसने करीब १ लाख ५० हजार तारों की जांच-पड़ताल की है । खगोल वैज्ञानिकों ने केप्लर दूरबीन के डैटा का विश्लेषण करते हुए अब तक लगभग २५०० ग्रहों की खोज की है । नासा की इस नवीनतम खोज मे डैटा विश्लेषण के लिए गुगल की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक की भी सहायता ली गई है, जिसे विकसित करने का मुख्य उद्देश्य मनुष्य को बसने योग्य ग्रहों की तलाश करना रहा है ।
मज़ेदार बात यह है कि केप्लर-९० के ग्रहोंकी व्यवस्था हमारे सौर मंडल जैसी ही है । इसका मतलब यह है कि इसके ग्रह हमारे सौर मंडल की तरह के ही क्रम मेंहैं । इसमें भी हमारे सौर मंडल की भांति छोटे ग्रह अपने तारे से नज़दीक हैं और बड़े ग्रह उससे काफी दूर हैं । इस खोज से पहली बार स्पष्ट होता है कि ब्रह्मांड में दूर स्थित किसी तारा तंत्र में हमारें जैसे ही सौर परिवार मौजूद हो सकते हैं ।
इस महत्वपूर्ण खोज में शामिल रहे टेक्सास विश्वविद्यालय के नासा सैंगन पोस्ट डॉक्टरल फेलो एवं खगोल विज्ञानी एंड्रयू वेंडरबर्ग का कहना है, `केप्लर-९० के ग्रहोंकी प्रणाली हमारे सौरमंडल का एक छोटा रुप है । इसके भीतर छोटे और बाहर बड़े ग्रह हैं । लेकिन सभी ग्रह काफी करीब है । ' वे नए ग्रह केप्लर-९० के बारे मेंकहते है, `नया ग्रह पृथ्वी से करीब ३० प्रतिशत बड़ा माना जा रहा है । हालांकि यह ऐसी जगह नही है, जहां आप जाना चाहेंगे ।' 
निकोलिस कॉपरनिकस ने सर्वप्रथम बताया था कि पृथ्वी सूर्य की परिक्रमाकरती है । तथा पृथ्वी ब्रह्मांड के केन्द्र में नहीं है । आगे जियोर्डानों ब्रूनो ने यह बताया था कि सूर्य एक तारा है और ब्रह्मांड में अनगिनत तारे हैं । उन्होने यहां तक कहा था कि आकाश अनंत है, तथा हमारे सौरमंडल की तरह अनेक और भी सौरमंडल इस ब्रह्मांड में उपस्थित है । १८ वीं सदी आते-आते दूसरे सौरमंडलों के होने की ब्रूनो की कल्पना को सामान्य रुप से स्वीकार कर लिया गया था । इसके चलते सूर्य की ब्रह्मांड विशिष्ट स्थिति पर खतरा मंडराने लगा । जब यह पता चला कि सूर्य भी हमारी आकाशगंगा के अरबोंतारों में से एक है और यह वहां भी केंद्र में नही है ।
नासा की यह नवीनतम खोज एक महत्वपूर्ण समाचार है, क्योंकि इसने एक बारे फिर ब्रूनों की परिकल्पना की वैज्ञानिक दृष्टि से पुष्टि की है । उम्मीद है  निकट भविष्य में केप्लर पृथ्वी जैसे किसी ग्रह की खोज का समाचार देगा जहां पर जीवन हो सकता है । लेकिन ध्यान रखनें की बात यह है कि इस तरह के समाचारों के सत्यापन में वर्षोंा का समय भी लग सकता है । चिराग रगड़ा और एलियन प्रकट हुआ जैसी मानसिकता विज्ञान के बारे में सतही जाकनारी रखने की परिचायक है ।*** 

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