मंगलवार, 16 जनवरी 2018

सम्पादकीय 
विकास बनाम पर्यावरण
पर्यावरण संरक्षण आज मानव जीवन से जुड़ा अहम मुद्दा है । पर विकास के आगे इसकी गूंज उतनी जोर से नहींसुनाई देती, जितनी होनी चाहिये । आज स्थिति ऐसी हो गई है कि हमें साफ हवा के लिए तरसना पड़ रहा है । खासकर दिल्ली जैसे शहरों की स्थिति कुछ ऐसी हो गई है, जहां साल में कम ही ऐसे दिन देखने को मिलते है, जब हवा का स्तर बिलकुल साफ हो । हालांकि सरकार ने इसके लिए कई बड़े कदम उठाए है, लेकिन इनमें बड़ी पहल जागरुकता को लेकर भी हैं । लोगों को पर्यावरण बचाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है ।
सरकार को यह पहल उस समय करनी पड़ रही है, जब पर्यावरण बचाने के लिए बड़ी संख्या में कानून बनाने के बाद भी इसकी स्थिति में कोई सुधार नहीं दिखाई दे रहा है । उदाहरण के तौर पर प्रदूषण फैलाने वाले वाहनोंके खिलाफ दंड के कड़े प्रावधानों के बावजूद भी प्रदूषण के स्तर मेंकाई कमी नहीं आयी । इसी तरह से जंगल और पेड़ों को काटने से बचाने के लिए फारेस्ट एक्ट में कड़े प्रावधान किए गए थे । बावजूद इसके पेड़ों का कटना बंद नहीं हुआ ।
ऐसे में सरकार ने पर्यावरण को लेकर अपनी रणनीति को बदला है । अब वह कानून की सख्ती के साथ लोगों को जागरुक बनाने और कानूनों के पालन में लोगों का सहयोग लेने में भी जुटी है । इसके लिए लोगों को पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी छोटी-छोटी चीजों को लेकर जागरुक किया जा रहा है । जिसमें निर्माण कार्योंा को ग्रीन कवर करना, निजी वाहनों के इस्तेमाल के बजाय पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करना, घर की छतों पर पेड़-पौधे लगाकर हरा-भरा करने जैसे कदम हैं । इसके साथ ही सरकार ने विकास से जुड़े सभी कार्योंा में पर्यावरण को प्रमुखता से शामिल करने की दिशा में काम करना होगा ।
पिछले दिनों प्रधानमंत्री ने जल समस्या का जिक्र करते हुए जनभागीदारी से इसे हल करने की बात कही है । उनकी इस पहल से स्पष्ट है कि सरकार करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद जो नही कर पा रही है उसे जन जागरुकता से पूरा किया जा सकता है । पर्यावरण को लेकर कुछ ऐसे ही कदम उठाने की आवश्यकता हैं । ***

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